Dhool ka mahatav 200 words
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धूल का हमारे जीवन में बहुत महत्त्व है। शिशु धूल के साथ खेलते हैं। जब यह धूल शिशु के मुख पर लगती है तो उसका चेहरा निखरता है। इसलिए अधिकतर धूल के बिना शिशु की कल्पना नहीं की जा सकती है।
अखाड़े की मिट्टी को मलने का सुख दुर्लभ होता है क्योंकि उस मिट्टी को तेल और मट्ठे से सिझाया जाता है। पहलवानों को अखाड़े की मिट्टी विश्व विजयी बनाती है। यह मिट्टी उत्तम मानी जाती है और देवताओं को भी अर्पित करी जाती है।
धूल हमारी श्रद्धा, भक्ति और विश्वास का प्रतीक है। लोग धूल को माथे से लगाकर अपनी भक्ति व्यक्त करते हैं। योद्धा धूल को आँखों से लगाकर देश के प्रति प्रेम और श्रद्धा व्यक्त करते हैं।
हमारा शरीर भी मिट्टी से बना है। परन्तु आजकल के लोग धूल से दूर रहते हैं और कृत्रिम जीवन व्यतीत करना चाहते हैं
अखाड़े की मिट्टी को मलने का सुख दुर्लभ होता है क्योंकि उस मिट्टी को तेल और मट्ठे से सिझाया जाता है। पहलवानों को अखाड़े की मिट्टी विश्व विजयी बनाती है। यह मिट्टी उत्तम मानी जाती है और देवताओं को भी अर्पित करी जाती है।
धूल हमारी श्रद्धा, भक्ति और विश्वास का प्रतीक है। लोग धूल को माथे से लगाकर अपनी भक्ति व्यक्त करते हैं। योद्धा धूल को आँखों से लगाकर देश के प्रति प्रेम और श्रद्धा व्यक्त करते हैं।
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