Hindi, asked by shiv135, 1 year ago

dhool ke roop ko spashta kare

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Answered by abhi0602
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 लेखक ने पाठ “धूल” में धूल का महत्त्व स्पष्ट किया है। लेखक आज की संस्कृति की आलोचना करते हुए कहता है कि शहरी लोग धूल की महत्ता को नहीं समझते, उससे बचने की कोशिश करते हैं। जिस धूल मिट्टी से हमारा शरीर बना है, हम उसी से दूर रहना चाहते हैं। परंतु आज का नगरीय जीवन इससे दूर रहना चाहता है जबकि ग्रामीण सभ्यता का वास्तविक सौंदर्य ही “धूल” है। 

hope it will help u.




shiv135: I want the explanations of the types of dhul
abhi0602: plzzz mark as brainliest
shiv135: give ans
abhi0602: for ans u can go to this site https://mycbseguide.com/blog/ncert-solutions-class-9-hindi-course-b-%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%AA%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%B6-%E0%A4%AA%E0%A4%BE%E0%A4%A0-01-%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%AE%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%B2%E0%A4%BE%E0%A4%B8/
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