dhtu के किस गुण के कारण धातु की पत्ती बनती है
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रासायनिक तत्वों को सर्वप्रथम धातुओं और अधातुओं में विभाजित किया गया, यद्यपि दोनों समूहों को बिल्कुल पृथक् नहीं किया जा सकता था। धातु की परिभाषा करना कठिन कार्य है। मोटे रूप से हम कह सकते हैं कि यदि किसी तत्व में निम्नलिखित संपूर्ण या कुछ गुण हों तो उसे धातु कहेंगे :
(1) चमक,
(2) परांधता,
(3) साधारण ताप पर ठोस,
(4) स्वच्छ सतह द्वारा प्रकाश के परावर्तन (Reflection) का गुण,
(5) ऊष्मा एवं विद्युत् की उत्तम चालकता, एवं
(6) द्रव अवस्था से ठंण्डा करने पर क्रिस्टल रूप में ठोस पदार्थ का बनना।
हम यह अवश्य कह सकते हैं कि यदि कोई तत्व विशुद्ध अवस्था में चमकदार और विद्युत् का चालक नहीं है, तो वह अधातु (non-metal) है। प्रकृति में असंयुक्त अवस्था में बिरली धातु ही मिलती है। स्वर्ण, रजत, प्लैटिनम और कभी-कभी ताम्र धातुएँ यदाकदा मिल जाती हैं। अधिकांश धातुओं के अयस्क (Ores) मिलते हैं जो अधातुओं (जैसे ऑक्सीजन, कार्बन, गंधक आदि) के साथ धातुओं के यौगिक होते हैं। ये यौगिक भी शुद्ध अवस्था में न होकर अन्य खनिज में मिश्रित रहते हैं। इन अयस्कों से विविध रीतियों द्वारा धातुएँ निकाली जाती हैं। धातुओं की संख्या 91 है|