dialogue between teacher and student
आ. प्रकृति की रक्षा, मानव का कर्तव्य
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प्रकृति की रक्षा, मानव ka kartav =
प्रकृति के अर्थ को परिभाषित करना एक बहुत ही विस्तृत वर्णन है। सामान्य रुप से हम कह सकते है कि सभी भौतिक और प्राकृतिक वस्तुएं प्रकृति का हिस्सा हैं, फिर चाहे वह मनुष्य हो या फिर पशु-पक्षी, पेड़-पौधे तथा पर्यावरण यह सब प्रकृति का हिस्सा हैं। हांलाकि मनुष्य भले ही प्रकृति का हिस्सा है परन्तु फिर भी मानवीय क्रियाओं को एक भिन्न श्रेणी में रखा गया और इन्हें प्राकृतिक नही माना जाता है। प्रकृति को मानव द्वारा माँ की संज्ञा दी गयी है, क्योंकि प्रकृति द्वारा ही जीवन की उत्पत्ति हुई है और इसके बिना जीवन की कल्पना करना भी असंभव है। इसके बावजूद भी वह मनुष्य ही हैं जिसके द्वारा सदैव प्रकृति और पर्यावरण को क्षति पहुंचायी जाती है।
hame pratek din ek poodha lagana cahiye ,es prakar se logo ko sandeesh de kr hm pryayvaran ko surakshi kr sakenge.