Dialogue in Hindi between two civilians for and against the national lock down called out by the prime minister
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अनिल : "भाई, नीरज!, इस राष्ट्रीय लॉकडॉउन से मुझे ऐसा प्रतीत होता है जैसे मैं अपने ही घर में ही कैद हो कर रह गया हूं ।"
नीरज : "प्रधानमंत्री जी ने इसे लगाया ही क्यों ? इसे लगाने के बाद भी कोरोना के मामले घटने के बजाय बढ़ ही रहे हैं ।"
अनिल : "जब तक इसकी दवा नहीं आती, प्रधानमंत्री जी के पास इसके संक्रमण को रोकने का और कोई उपाय भी तो नहीं है ।"
नीरज : "हाँ भाई अनिल, ये भी उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री जी द्वारा लॉकडॉउन समय पर लगाने और बढ़ाने से ही हमारे देश में इसके मामले अन्य देशों की तुलना में काफी कम है ।"
अनिल : "सही कह रहे हो, ये बहुत कठिन परिस्थिति हैं, हमें भी इसमें धैर्य रखना ही होगा । कोरोना से बचाव के लिए सभी नियमों का पालन सचेत रह कर करना होगा ।"
नीरज : "हाँ भई, मैं तो घर में ही रहना , मास्क लगाना , 2 गज की दूरी रखना ,तथा समय-समय पर साबुन से हाथ धोना, आदि कार्य स्वयं भी करता हूं और अपने परिवारजनों से भी करवाता हूं क्योंकि हमें सबको मिलकर इस कोरोना को हराना है ।"
अनिल : "हाँ , वास्तव में यह केवल प्रधानमंत्री जी का ही दायित्व नहीं है, इसमें हम सबको अपना - अपना योगदान देना होगा तब ही हम इस महामारी के संकट से उबर पाएंगे ।"