dialogue writing of chapter ram laxaman parshuram samvad in hindi
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राम -लक्ष्मण -परशुराम संवाद गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित रामचरित मानस महाकाव्य का एक अत्यंत प्रभावी अंश है।
यह संवाद काल्य और शिल्प दोनों ही दृष्टियों से बेजोड़ है।इसमें तुलसी दास जी का कवि कौशल अपनी समग्रता में प्रकट हुआ है।
संवाद मुख्यत: परशराम और लक्ष्मण के बीच होता है।
तुलसीदास जी ने परशुराम और लक्ष्मण के चरित्रों को संपूर्णता में उभारने में मदद ली है।
परशुराम जी ब्रह्मर्षी है, वीर व्रत धारी हैं और क्रोध के लिए विख्यात है। साथ ही क्षत्रिय -दोही के रूप में भी उनकी प्रसिद्धि है।
लक्ष्मण नवयुवक हैं। दशरथ पुत्र हैं और उनमें युवकोचित सभी गुण हैं।
राम क्षमाशील, गंभीर और परिपक्व हैं।
संवाद अंश में कवि ने बहुत सूक्ष्म तरिके से इन सभी चरित्रों को उद्घाटित किया है।
यह संवाद काल्य और शिल्प दोनों ही दृष्टियों से बेजोड़ है।इसमें तुलसी दास जी का कवि कौशल अपनी समग्रता में प्रकट हुआ है।
संवाद मुख्यत: परशराम और लक्ष्मण के बीच होता है।
तुलसीदास जी ने परशुराम और लक्ष्मण के चरित्रों को संपूर्णता में उभारने में मदद ली है।
परशुराम जी ब्रह्मर्षी है, वीर व्रत धारी हैं और क्रोध के लिए विख्यात है। साथ ही क्षत्रिय -दोही के रूप में भी उनकी प्रसिद्धि है।
लक्ष्मण नवयुवक हैं। दशरथ पुत्र हैं और उनमें युवकोचित सभी गुण हैं।
राम क्षमाशील, गंभीर और परिपक्व हैं।
संवाद अंश में कवि ने बहुत सूक्ष्म तरिके से इन सभी चरित्रों को उद्घाटित किया है।
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