diary Banakar usme Jamun ka ped path ka Sachitra Samiksha likhiye
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जामुन का पेड़ लेखक कृश्नचंदर द्वारा लिखी गई है| यह एक हास्य व्यंग्य रचना है | इस कहानी के माध्यम से लेखक ने हमारे देश में नौकरशाही की व्यवस्था का वर्णन किया गया है | यह कहानी साफ़ बताती है की कैसे एक छोटे से छोटे काम के लिए हम दफ्तर से दफ्तर , डिपार्टमेंट से डिपार्टमेंट घूमना पढ़ता है और फिर भी हमारा काम होने की उम्मीद नहीं होती | जामुन का पेड़ था जो उस आंधी से गिर गया और उसके नीचे एक आदमी दब गया | माली ने सवेरे जब ये देखा तो दौड़ा-दौड़ा क्लर्क के पास जाकर सब बताया | उस पेड़ के चारों तरफ भीड़ इकट्ठा हो गयी पर उस आदमी की चिन्ता किसी ने न की | सभी उस पेड़ के लिए हमदर्दी जता रहे थे की वह पेड़ कितना फलदार था, जामुन रसीले होते थे और वह अपने बच्चों के लिए ले जाते थे | यही सब चलता रहा लेकिन उस आदमी की तरफ़ किसी ने कोई ध्यान सब बहाने बनाते रहे, और इतने दिन हो गए सब डिपार्टमेंट घूमते-घूमते तक कोई फैसला नहीं हुआ पेड़ के लिए | शाम पांच बजे स्वयं सेक्रेटरी आकर बोला की आदेश आ चुका है और पेड़ अब कट जाएगा और वह आजाद हो जाएगा | पर तब तक देर हो चुकी थी और वह आदमी चल बसा |
इस कहानी से पता चलता है सरकारी काम बहुत लेट होते चाहे किसी जान चली जाए |