Hindi, asked by pushkar05maheshwari, 19 days ago

diary lekhan on my new cycle in hindi

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Answered by rathansrathandeep
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बचपन से ही एक मन में इच्छा थी की एकंं दिन साइकल अवश्य लूंगा और चलाना भी स्वयं सीखूंगा। बचपन में गिरने के डर से साइकल नहीं सीखा। कक्षा ११ वीं में जिद करके एक साइकल लिया और अचानक एक दिन मन किया की साइकल आज ही सीखूंगा। बस फिर क्या था मैं घर के पास के एक मैदान में चला गया और ३ घंटे के अंदर मैं सीख गया साइकल चलाना।

Answered by imageniuss
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बचपन से ही एक मन में इच्छा थी की एकंं दिन साइकल अवश्य लूंगा और चलाना भी स्वयं सीखूंगा। बचपन में गिरने के डर से साइकल नहीं सीखा। कक्षा ११ वीं में जिद करके एक साइकल लिया और अचानक एक दिन मन किया की साइकल आज ही सीखूंगा। बस फिर क्या था मैं घर के पास के एक मैदान में चला गया और ३ घंटे के अंदर मैं सीख गया साइकल चलाना।

बचपन से ही एक मन में इच्छा थी की एकंं दिन साइकल अवश्य लूंगा और चलाना भी स्वयं सीखूंगा। बचपन में गिरने के डर से साइकल नहीं सीखा। कक्षा ११ वीं में जिद करके एक साइकल लिया और अचानक एक दिन मन किया की साइकल आज ही सीखूंगा। बस फिर क्या था मैं घर के पास के एक मैदान में चला गया और ३ घंटे के अंदर मैं सीख गया साइकल चलाना।

बचपन से ही एक मन में इच्छा थी की एकंं दिन साइकल अवश्य लूंगा और चलाना भी स्वयं सीखूंगा। बचपन में गिरने के डर से साइकल नहीं सीखा। कक्षा ११ वीं में जिद करके एक साइकल लिया और अचानक एक दिन मन किया की साइकल आज ही सीखूंगा। बस फिर क्या था मैं घर के पास के एक मैदान में चला गया और ३ घंटे के अंदर मैं सीख गया साइकल चलाना।

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