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गांधी को 'बापू' बना खुद गुमनाम हो गए राजकुमार शुक्ल
आशीष झा/अमर उजाला, पटना Updated Tue, 25 Nov 2014 09:13 AM IST

चंपारण आंदोलन का जिक्र आते ही बेशक तस्वीर महात्मा गांधी की उभरती हो, लेकिन इस आंदोलन के जनक राजकुमार शुक्ल थे। चंपारण में नील की खेती के खिलाफ 1907 में आंदोलन की शुरुआत करने वाले शुक्ल को गांधी का पथ प्रदर्शक कहा जाता है।
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शुक्ल के आग्रह पर ही गांधी चंपारण आए और अपना पहला जन आंदोलन शुरू किया। लेकिन बाद में खुद उनका नाम इतिहास में गुम हो गया। यहां तक कि उनका अंतिम संस्कार भी एक अंग्रेज के पैसों से हुआ।
गांधी के चंपारण आंदोलन के सूत्रधार 'राजकुमार शुक्ल की डायरी' नामक पुस्तक का लोकार्पण महाराजा कामेश्वर सिंह विरासत श्रृंखला के तहत 28 नवंबर का होने जा रहा है। इस पुस्तक का प्रकाशन महाराजा कामेश्वर सिंह कल्याणी फाउंडेशन ने किया है।
ऐसे कई तथ्य हैं जो राजकुमार शुक्ल की 1917 में कैथी लिपि में लिखी गई डायरी के माध्यम से पहली बार दुनिया के सामने आया है। यह चंपारण आंदोलन का अब तक का सबसे प्रामाणिक दस्तावेज है।
इस पुस्तक का संपादन करने वाले भैरव लाल दास (विधान परिषद में प्रोजेक्ट अधिकारी पद पर कार्यरत) कहते हैं कि शुक्ल का जीवन आज भी इतिहासकारों के लिए अनछुआ है।
इस किताब में अंग्रेजों के महिमामंडन के आरोप का खंडन करते हुए भैरवलाल दास कहते हैं कि जब तक आप पूरी किताब नहीं पढ़ेंगे, इसका संदर्भ स्पष्ट नहीं होगा। उनके बारे में इतना ही कहूंगा कि अंतिम संस्कार के लिए पैसे देने के अलावा एम्मन ने शुक्लजी के दामाद की नौकरी भी पुलिस विभाग में लगवाई।
अंग्रेजों से लड़ते हुए हो गए थे कंगाल
अंग्रेजों से लड़ते हुए कंगाल हो चुके शुक्ल के घर में उनके अंतिम संस्कार के लिए भी पैसे नहीं थे। बेलहा कोठी का निलहा (नील के ठेकेदार) अंग्रेज एसी एम्मन के दिए पैसों से उनका अंतिम संस्कार हुआ।
'चंपारण का अकेला मर्द'
1929 में जब राजकुमार शुक्ल की मृत्यु हुई, तब एम्मन ने अपने नौकर को बुलाया और 300 रुपये देकर कहा, जाओ शुक्ल जी के परिवार वालों को दे आओ। उनके पास अंतिम संस्कार के लिए पैसे नहीं होंगे। नौकर ने कहा कि वह तो आपका दुश्मन था।
एम्मन ने कहा कि तुम शुक्ल जी को नहीं समझोगे। वह चंपारण का अकेला मर्द था, जो मुझसे जिंदगी भर लड़ता रहा। शुक्ल जी की मृत्यु के बाद श्राद्ध सभा में दुखी एम्मन ने डॉ राजेंद्र प्रसाद से कहा था कि वह भी अब ज्यादा दिन जिंदा नहीं रहेंगे और तीन महीनों बाद एम्मन की भी मृत्यु हो गई।
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