Hindi, asked by manderP8Nima, 1 year ago

difference between karm karak and sampradan karak

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Answered by tejasmba
303

कर्म कारक –

जिस पर क्रिया के कार्य का प्रभाव पड़ता है, उसे कर्म कारक कहते हैं। इसका विभक्ति-चिह्न ‘को’ है।

जैसे- 1. मोहन ने साँप को मारा।

         2. लड़की ने पत्र लिखा।

पहले वाक्य में ‘मारने’ की क्रिया का प्रभाव साँप पर पड़ा है। अतः साँप कर्म कारक है। इस वाक्य में ‘को’ विभक्ति-चिह्न लगा है।

दूसरे वाक्य में ‘लिखने’ की क्रिया का प्रभाव पत्र पर पड़ा है। अतः पत्र कर्म कारक है। इस वाक्य में कर्म कारक का विभक्ति चिह्न ‘को’ नहीं लगा है। कुछ वाक्यों में कर्म कारक के चिह्न 'को' का लोप भी रहता है।

संप्रदान कारक

संप्रदान का मतलब है देना। इसका अर्थ यह है कि कर्ता जिसके लिए कुछ कार्य करता है, अथवा किसीको कुछ देता है  तो उसे व्यक्त करने वाले रूप को संप्रदान कारक कहते हैं। इसके विभक्ति चिह्न ‘के लिए’ और को हैं।

जैसे – 1. स्वास्थ्य के लिए व्यायाम आवश्यक है।

         2. गरीबों के लिए रोटी लाओ।

         3. रोहन, सीता को किताब दो।

Answered by aadilawadh
46

नमस्ते

I would be explaining about the difference in को using examples

कर्म कारक

eg :- सिपाही ने चोर को पकड़ा

the meaning of को over here is that the soldiers ( or whatever सिपाही is ) shooed of the thief ( or whatever पकड़ा is ). In this case को is used for explaining the way of पकड़ा - ing. If को wasn't there, the meaning would be the thief shooed ( or whatever पकड़ा is ) the soldiers ( or whatever सिपाही is ).   कर्म कारक is used before verbs

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सम्प्रदान कारक

eg :- अद्यापिका ने  छात्र को पुरस्कार दिया

The meaning of को here is that the ( in this case we can change the sentence as.... ) The student ( or whatever छात्र is ) was given the award ( or whatever पुरस्कार is ) by the teacher. In this case को is used to specify the how the पुरस्कार was given. if को wasn't there then it would mean that the छात्र gave the teacher a पुरस्कार. सम्प्रदान कारक is used before nouns.

Hope this helps you

धन्यवाद

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