Difference between secured loan and unsecured loan in hindi
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कई बार लोन लेना हमारे लिए जरूरी हो जाता है. इसलिए लोन के हर पहलू को जानना जरूरी है. दो तरह के लोन होते हैं-सेक्योर्ड और अनसेक्योर्ड. इन दोनों का मतलब क्या है? दोनों में कितना फर्क है? आपको दोनों में से कौन सा लोन लेना चाहिए? आइए इन सवालों के जवाब जानने की कोशिश करते हैं.
सेक्योर्ड लोन ऐसे लोन हैं, जिसे देने के लिए बैंक कोई संपत्ति गिरवी रखने के लिए कहते हैं. अनसेक्योर्ड लोन में कर्ज लेने वाले को बैंक के पास कोई संपत्ति गिरवी नहीं रखनी पड़ती है. ये लोन पूरी तरह से कर्ज लेने वाले व्यक्ति की अच्छी वित्तीय स्थिति को देखकर दिए जाते हैं.
गोल्ड लोन, होम लोन, कार लोन आदि सेक्योर्ड लोन है. पर्सनल लोन, क्रेडिट कार्ड पर लोन आदि अनसेक्योर्ड लोन के उदाहरण हैं. आपको अपनी जरूरत के हिसाब से लोन का चुनाव करना चाहिए. इससे पहले आपको लोन लेने का खर्च, जरूरी रकम और दूसरे शुल्क के बारे में जान लेना चाहिए.
हम ऐसी पांच बातें बता रहे हैं, जिनके आधार पर आप यह फैसला कर सकते हैं कि आपको सेक्योर्ड लोन लेना चाहिए या अनसेक्योर्ड.
लोन की रकम कितनी?
कौन सा लोन आपके लिए ठीक रहेगा, यह लोन की रकम पर निर्भर करता है. आम तौर पर अनसेक्योर्ड लोन की रकम कमाने की आपकी क्षमता पर निर्भर करती है. इसलिए एक सीमा के बाद इसे बढ़ाया नहीं जा सकता. सेक्योर्ट लोन में बैंक लोन की रकम तय करने के लिए गिरवी रखी गई संपत्ति को देखता है. इसलिए आम तौर पर लोन की रकम ज्यादा होने पर सेक्योर्ड लोन का चुनाव करना ठीक रहता है. अगर आपको ज्यादा रकम का लोन नहीं चाहिए तो सेक्योर्ड लोन लेने से बचना चाहिए.
ब्याज दर और शुल्क क्या हैं?
लोन का चुनाव करने में ब्याज दर का भी ध्यान रखना जरूरी है. चूंकि अनसेक्योर्ड लोन के लिए कोई संपत्ति गिरवी नहीं रखी जाती और ये पूरी तरह लोन लेने वाले व्यक्ति की साख पर आधारित होते हैं, इसलिए इसमें डिफॉल्ट का जोखिम ज्यादा होता है. यही वजह है ऐसे लोन में ब्याज की दर ज्यादा होती है. इसके अलावा आपको प्रोसेसिंग फीस भी देनी पड़ती है. सेक्योर्ड लोन किसी संपत्ति के आधार पर दिया जाता है. इसलिए डिफॉल्ट होने की स्थिति में बैंक के पास गिरवी रखी संपत्ति को बेचकर नुकसान की भरपाई करने का विकल्प होता है. यही वजह है कि सेक्योर्ड लोन में ब्याज दर कम होती है.
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लोन चुकाने की अवधि कितनी है
लोन लेन में यह बात काफी अहम है कि लोन को कितने दिन में चुकाना है. आमतौर पर अनसेक्योर्ड लोन को चुकाने की अवधि सेक्योर्ड लोन के मुकाबले काफी कम होती है. अनसेक्योर्ड लोन की अवधि ज्यादा से ज्यादा पांच साल हो सकती है. सेक्योर्ड लोन की अवधि 30 साल (होम लोन) तक हो सकती है. इसलिए अगर आप लोन चुकाने के लिए लंबी अवधि चाहते हैं तो सेक्योर्ड लोन लेना सही होगा.
क्रेडिट स्कोर पर असर
अगर आप समय पर लोन नहीं चुकाते हैं तो आपके क्रेडिट स्कोर पर खराब असर पड़ेगा. यह बात सेक्योर्ड और अनसेक्योर्ड दोनों ही लोन पर लागू होती है. सेक्योर्ड लोन की भरपाई गिरवी रखी गई संपत्ति को बेचकर हो जाती है, जबकि अनसेक्योर्ड लोन में रकम वसूलने के लिए बैंक को कानूनी रास्ता अपनाना पड़ता है. इसलिए अनसेक्योर्ड लोन में डिफॉल्ट होने पर लंबे समय के लिए आपको क्रेडिट स्कोर खराब हो जाता है.
लोन का मकसद क्या है
लोन आप किस लिए ले रहे हैं? इस सवाल के जवाब से भी यह तय करने में मदद मिलती है कि कौन सा लोन आपको लेना चाहिए. उदाहरण के लिए आप घर खरीदने के लिए बैंक से लोन लेना चाहते हैं. ऐसे में अगर आप पर्सनल लोन लेंगे तो उसकी ब्याज दर बहुत ज्यादा होगी. लोन चुकान की अवधि बहुत कम होगी. आपको इसे जल्द चुकाने का भी विकल्प नहीं होगा. इसी तरह अगर आप मोबाइल खरीदने के लिए लोन लेना चाहते हैं तो फिर अपने घर को गिरवी रखकर यह लोन लेना गलती होगी. इसलिए यह सवाल बहुत महत्वपूर्ण है कि आप लोन किसलिए ले रहे हैं.
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