Hindi, asked by ghfgk4830, 1 year ago

Dimaag se sochne wale log dil se sochne wale logo ki apesha adhik safal kyun hote hai

Answers

Answered by Anonymous
19
Hey dear friend ,

Here is your answer - -

आप के प्रश्न के अनुसार एक विवेक दिमाग होता है , और एक विवेकशील होता है यह बिल्कुल सही बात है , क्योंकि हमारा जो दिमाग होता है - वह भी एक विवेक का काम करता है और - जो हमारा दिल होता है वह भी एक विवेक बनता है ।

हमारे दिल के विवेक और हमारे दिमाग के विवेक दोनों में बहुत गहरा संबंध होता है , और गहरे विक्रम का संबंध भी होता है । हमें हर समय पर प्रत्येक परिस्थिति में अलग अलग विवेक की जरूरत होती है ।

कई बार उनके ऊपर जहां पर दिमाग के विवेक की आवश्यकता होती है हम वहां पर दिल के विवेक की उपस्थिति कर और उसका उपयोग कर अपने लिए कठिनाइयां और समाज के लिए अंकुश पैदा कर लेते हैं ,

और कई बार उनके ऊपर जहां पर दिल के विवेक की आवश्यकता होती है हम वहां पर दिमाग के विवेक की उपस्थिति कर और उसका उपयोग करें अपने लिए कठिनाइयां और समाज के लिए अंकुश लगा कर लेते है।

हमारे प्राचीन काल में भी दिल और दिमाग क्यों दोनों के ऊपर बहुत गहरा अध्ययन किया गया था ?

हमारे दिल और दिमाग दोनों के ऊपर गहरा अध्ययन किया गया था क्योंकि हमें एक सफल जिंदगी जीने के लिए इन दोनों बिंदुओं की बहुतायत से उपयोग करना पड़ता है यदि कोई जी न्यायाधीश विवेक जहां पर दिमाग का उपयोग करना है उस स्थान पर दिल के विवेक का उपयोग कर अपराधी को सजा कम या उसके अपराध कुछ माफ कर देते हैं इससे अपराधी खुश होता है और उसे पर्याप्त सजा नहीं मिल पाती।

और कहीं कहीं पर जहां पर हैं अपने समाज में दिल के उपयोग की बात का उपयोग करना चाहिए वहीं पर कोई ना कोई दिमाग का उपयोग कर देता है और कोई पूरी बनी बनाई बात बिगड़ जाती है ऐसे कई उदाहरण मिलते हैं हमारे समाज में ।

Thanks ;) ☺☺☺

khushiagrawal30: kya kya bol rhe ho
khushiagrawal30: idiot
khushiagrawal30: r u gonna mad
khushiagrawal30: okk bhai jaan
khushiagrawal30: hum isliye hi ni kr rhe the comment
khushiagrawal30: kyoki hume pta tha aap yhi khenge
Answered by gorishankar2
1
सच है, हमारे दिल हमारे हाथों में नहीं हैं। लेकिन हमारे दिमाग हैं: हम जो कुछ भी सोचने का फैसला करते हैं उसके बारे में सोच सकते हैं। और इसमें हमारी शक्ति निहित है।

दिमाग दिल पर शासन करता है-न कि सिर्फ अपने घोड़े पर एक सवार नियम के रूप में, बल्कि एक और अधिक अंतरंग अर्थ में। मन के लिए पिता और मां, बीज और गर्भ है जिसके द्वारा किसी व्यक्ति के दृष्टिकोण पैदा होते हैं और फिर पोषित होते हैं। दिल दिमाग की स्थिति को प्रतिबिंबित करने से ज्यादा नहीं करता है- इसकी उथल-पुथल, इसका संकल्प, इसकी अव्यवस्था या इसकी गहराई, इसकी मजबूती या इसकी परिपक्वता।

यह तब उस व्यक्ति का ध्यान केंद्रित होना चाहिए जो इस दुनिया को छोड़ने से ज्यादा छोड़ना चाहता है: अपने दिमाग को उन विचारों में अपनी तीव्रता के साथ संलग्न करने के लिए जो ऊपर उठाने और प्रेरित करने के लिए, और बराबर बल से दूर धकेलने के लिए किसी भी विचार को पीछे छोड़कर पीछे रखता है ।

और उस श्रम को दिमाग से दिल से दिल तक पारित करने और वास्तविक कर्मों को जन्म देने की अनुमति देने के लिए।
Similar questions