dirgh doha arath ke aakhar thore aahi jyo rahim nat kundli simiti kudi chadi jahi
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रहीम दास जी कहते हैं कि उनके दोहों में कम अक्षर और शब्द होते हैं पर उनका अर्थ बहुत गूढ़ है। जैसे एक नट अपना करिश्मा दिखाते समय अपने बड़े शरीर को समेट लेता है और छोटा दिखने लगता है।
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