DISE मकान की तलाश में भटक रहा हूँ।शहर मकर काट-काट कर पूर्व घिस गरा निराश होकर जा गया तब साल भर बाद मकान के नाम पर सि. छिपाने के लिए गली के अंदर घह छत मिली है। का संदब दिगिरा ? १. उपत्यूक्त कथन का संदेब दिजिए
Answers
Answer:
अंगूर खट्टे हैं. लोमड़ी और अंगूर की कहानी सबने सुनी होगी. लोमड़ी ने एक बार बेल में लटका हुआ अंगूर का गुच्छा देखा. उस के मुँह में पानी आ गया. उसने बहुत कोशिश की पर उन अंगूरों तक नहीं पहुँच सकी. अंत में यह कह कर कि अंगूर खट्टे हैं वह वहां से चलती बनी. जब कोई व्यक्ति अपनी पहुँच से बाहर की चीज़ को खराब बताता है तो यह कहावत कही जाती है. इस तरह की एक और कहावत है – हाथ न पहुंचे, थू कौड़ी.
अंटी में न धेला, देखन चली मेला. पहले के लोग धोती या पाजामा पहनते थे जिसमे जेब नहीं होती थी. पैसे इत्यादि को एक छोटी सी थैली में रख कर धोती की फेंट में बाँध लेते थे या पजामे में खोंस लेते थे. इसको बोलचाल की भाषा में अंटी कहते थे. धेला एक सिक्का होता था जो की पैसे से आधी कीमत का होता था. कहावत का अर्थ है कि रुपये पैसे पास न होने पर भी तरह तरह के शौक सूझना.
अंडा सिखावे बच्चे को कि चीं चीं न कर. जब कोई आयु, बुद्धि या पद में छोटा व्यक्ति अपने से बड़े व बुद्धिमान व्यक्ति को कोई अनावश्यक सीख देता है तो यह कहावत कही जाती है.
अंडुवा बैल, जी का जवाल. स्वतंत्र और उच्छृंखल व्यक्ति को सांड के समान बताया गया है जिसे संभालना मुश्किल काम होता है. (अंडुवा – बिना बधियाया हुआ बैल अर्थात सांड. सांड से खेती नहीं कराई जा सकती इस लिए बछड़े के अंडकोष नष्ट कर के उसे बैल बना दिया जाता है जोकि नपुंसक और शांत स्वभाव का होता है).
अंडे सेवे कोई, बच्चे लेवे कोई. जब मेहनत कोई और करे और उसका लाभ कोई दूसरा उठाए तो यह कहावत कही जाती है. इस कहावत को समझने के लिए कौए और कोयल की कहानी समझनी पड़ेगी. कोयल इतनी चालाक होती है कि कौए के घोंसले में अंडे दे आती है. कौआ बेचारा उन्हें अपने अंडे समझ कर सेता है. अंडे में से बच्चे निकलते हैं तो मालूम होता है कि वे कोयल के बच्चे हैं.
अंडे होंगे तो बच्चे बहुतेरे हो जाएंगे. इसका शाब्दिक अर्थ तो स्पष्ट ही है. इस का उदाहरण इस तरह दे सकते हैं- किसी व्यापार में बहुत नुकसान होता है लेकिन व्यापार बंद करने की नौबत नहीं आती. तो सयाने लोग बच्चों से कहते हैं – बेटा कोई बात नहीं! व्यापार बचा रहेगा तो बाद में बहुतेरा लाभ हो जाएगा.
अंत बुरे का बुरा. जो हमेशा सब का बुरा करता है उसका अंत भी बुरा ही होता है.