Hindi, asked by shehalasherin97, 1 year ago

Diseases cause by air pollution in hindi

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Answered by Gagan5359
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here is ur ans...
वातावरण में हानिकारक पदार्थों की मौजूदगी को वायु प्रदूषण कहा जाता है जो कि बड़े पैमाने पर मानव स्वास्थ्य और जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित करने वाली सबसे बड़ी समस्याओं में से एक है। तेजी से प्रगतिशील आधुनिक दुनिया में बड़े पैमाने पर होता औद्योगिक विकास, जो दिन-प्रतिदिन बढ़ रहा है,  वायु प्रदूषण के प्रमुख कारणों में से एक है। प्रदूषित हवा पूरे वातावरण में फैलती है और पूरे विश्व में लोगों के जीवन को प्रभावित करती है।

प्रदूषण निरंतर पूरे पारिस्थितिकी तंत्र में विनाश फैलाता है और मनुष्य के अलावा यह पेड़-पौधों और जानवरों के जीवन को भी प्रभावित करता है। वायु प्रदूषण की वजह से ही पृथ्वी पर सूर्य की हानिकारक गर्म किरणें पर्यावरण को प्रभावित कर रही है क्योंकि प्रदूषित हवा गर्मी को वापस आकाश में जाने से रोकती है। वायु प्रदूषण मृत्यु दर को बढ़ाने वाली विभिन्न घातक बीमारियों जैसे कि फेफड़ों के विभिन्न विकारों और यहां तक ​​कि फेफड़ों के कैंसर के प्रसार में भी योगदान दे रहा है।

जब हम सांस लेते है तो हवा में फैले हुए जहरीले सूक्ष्म कण शरीर में घुस जाते हैं जिससे अलग-अलग तरह की खतरनाक बीमारियाँ जैसे कि कैंसर, पार्किंसंस रोग, दिल का दौरा, सांस की तकलीफ, खांसी, आंखों की जलन, और एलर्जी आदि होने का खतरा पैदा हो जाता है। पक्षयुक्त पदार्थ (पीएम) सांस लेने के माध्यम से शरीर में घुस दिल, फेफड़े, और मस्तिष्क कोशिकाओं में पहुँच कर उन्हें बीमारियों से पीड़ित कर देते है।



वायु प्रदूषण - स्वस्थ जीवन के लिए खतरा

वायु प्रदूषण पृथ्वी पर जीवित प्राणियों के स्वस्थ जीवन के लिए एक बड़ा खतरा है क्योंकि इसके विभिन्न प्रतिकूल प्रभावों के कारण जैसे कि ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन जो मानव स्वास्थ्य पर बहुत बुरा असर डालते हैं। वायु प्रदूषण धूम्रपान, धूल के कण, पक्षयुक्त पदार्थ आदि के रिसाव के माध्यम से पर्यावरण में फैलता है और फिर विभिन्न रोगों के रूप में लोगों के स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। लोगों द्वारा दिन-प्रतिदिन इतनी तेज़ी से गंदगी फैलाई जा रही है, विशेष रूप से बड़े शहरों में, जिससे शहर का पर्यावरण काफी मात्रा में प्रदूषित हो रहा है। उद्योगों, वाहनों आदि से निकलता धुआं और प्रदूषित गैसें भी वायु प्रदूषण में अपना योगदान देते हैं। प्रदूषणकारी गैसों के अलावा पराग-कण, धूल, मृदा कण आदि जैसे कुछ प्राकृतिक प्रदूषक भी वायु प्रदूषण का स्रोत हैं।

एक रिसर्च के मुताबिक अगर हवा में मौजूद धूल कणों की एकाग्रता में 10 माइक्रोग्राम की कमी आती है तो व्यक्ति का जीवन समय 0.77 प्रतिशत प्रतिवर्ष बढ़ता है जबकि कुल जीवन की अवधि 15 प्रतिशत तक बढ़ जाती है। वायु प्रदूषण का हृदय और मस्तिष्क के रोगों से सीधा संबंध है। PM2.5 की मात्रा अत्यधिक प्रदूषण का संकेत मानी जाती है जिसमें विभिन्न बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।

वायु प्रदूषण-संबंधी रोगों की बढती संख्या

वायु प्रदूषण के सबसे बड़े कारणों में से एक कार्बन मोनोऑक्साइड और नाइट्रोजन जैसी गैसें हैं। इसके अलावा कारों, बसों और ट्रकों से उत्पन्न होता धुआं भी वायु प्रदूषण संबंधी रोगों के प्रमुख कारणों में हैं। ये गैस और कण व्यक्ति के फेफड़ों के माध्यम से रक्त में चले जाते हैं और स्वास्थ्य के लिए खतरा बन जाते हैं।

हाल में किए एक शोध के अनुसार प्रदूषण कणों के संपर्क में आने से मानव के स्वास्थ्य पर बहुत बुरा असर पड़ा है। वायु प्रदूषण श्वसन प्रणाली में बाधा डालने और मस्तिष्क के रोगों के साथ-साथ दिल के दौरे का भी मुख्य कारण है।

वायु प्रदूषण के कारण पृथ्वी का तापमान बढ़ता है क्योंकि वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड, मीथेन और नाइट्रस ऑक्साइड का प्रभाव सूर्य से आने वाली गर्मी के कारण बढ़ जाता है जिससे स्वास्थ्य को अधिक नुकसान हो सकता है। तापमान में अचानक वृद्धि के कारण अलग-अलग रोगों जैसे दस्त, पेट में दर्द, उल्टी, सिरदर्द, बुखार और शरीर में दर्द की संख्या भी बढ़ रही है। गर्मी में वृद्धि से त्वचा के रोग और खुजली की समस्याएँ भी उत्पन्न हो रही हैं। प्रदूषित हवा में मौजूद धूल और मिट्टी की मात्रा में वृद्धि के कारण अधिकांश लोगों में कई प्रकार की त्वचा रोग होने लगते हैं।

फेफड़ों के रोग

हमारे स्वास्थ्य पर प्रदूषण का गहरा असर पड़ता है। इससे अस्थमा और क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) बढ़ता है जिनमे क्रोनिक ब्रॉन्काइटिस और एम्फ्य्सेमा जैसे रोग शामिल हैं।

वायु प्रदूषण का मानव शरीर पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है। हवा में मौजूद एलर्जी और रासायनिक तत्व विभिन्न रोगों का उत्पादन करते हैं। प्रदूषित वायु के कारण होने वाले रोगों के सबसे आम उदाहरण अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, त्वचा रोग, सीओपीडी, आंखों में जलन आदि जैसे श्वसन रोग हैं। फेफड़ों के रोगों का प्रमुख कारण, विशेषकर बच्चों में, वायु प्रदूषण ही है।

इसके अलावा कई प्रकार की एलर्जी से भी लोग परेशान हो रहे हैं। गर्मी के मौसम में प्रदूषण तत्व बढ़ जाते हैं। वायु में रेस्पिरेबल सस्पेंडेड पार्टिकुलेट मैटर (आरएसपीएम) की अधिक मात्रा स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हो सकती है क्योंकि यह कई श्वसन रोगों का कारण है।




 



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