divano ki hasti kavya ka bhavarth likhiye ya bhashantar kijiye
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“हम दीवानों की क्या हस्ती” कविता का भावार्थ
“हम दीवानों की क्या हस्ती” कविता की रचना कवि 'भगवती चरण वर्मा' ने की है। इस कविता में कवि मस्तमौला स्वभाव और बेफिक्री वाली जिंदगी को रूपांकित किया है। सुख हो या दुख, हर स्थिति में एक समान ही रहना और सब जगह प्रेम बांटते जाना ही दीवानों का स्वभाव होता है।
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