Hindi, asked by mahitripathi, 1 year ago

Diwali ki pauradik katha likhiye please

Answers

Answered by sunilyadava07
0

एक बार सनतकुमार ने ऋषि-मुनियों से कहा- महानुभाव! कार्तिक की अमावस्या को प्रातःकाल स्नान करके भक्तिपूर्वक पितर तथा देव पूजन करना चाहिए। उस दिन रोगी तथा बालक के अतिरिक्त किसी अन्य व्यक्ति को भोजन नहीं करना चाहिए। सायंकाल विधिपूर्वक लक्ष्मी का मंडप बनाकर उसे फूल, पत्ते, तोरण, ध्वजा और पताका आदि से सुसज्जित करना चाहिए। अन्य देवी-देवताओं सहित लक्ष्मी का षोड्शोपचार पूजन करना चाहिए। पूजनोपरांत परिक्रमा करनी चाहिए।> > मुनिश्वरों ने पूछा- लक्ष्मी पूजन के साथ अन्य देवी-देवताओं के पूजन का क्या कारण है?  

सनतकुमारजी बोले- लक्ष्मीजी समस्त देवी-देवताओं के साथ राजा बलि के यहां बंधक थीं। तब आज ही के दिन भगवान विष्णु ने उन सबको कैद से छुड़ाया था। बंधन मुक्त होते ही सब देवता लक्ष्मीजी के साथ जाकर क्षीरसागर में सो गए। सलिए अब हमें अपने-अपने घरों में उनके शयन का ऐसा प्रबंध करना चाहिए कि वे क्षीरसागर की ओर न जाकर स्वच्छ स्थान और कोमल शय्या पाकर यहीं विश्राम करें। जो लोग लक्ष्मीजी के स्वागत की तैयारियां उत्साहपूर्वक करते हैं, उनको छोड़कर वे कहीं भी नहीं जातीं।

रात्रि के समय लक्ष्मीजी का आवाहन और विधिपूर्वक पूजन करके उन्हें विविध प्रकार के मिष्ठान्न का नैवेद्य अर्पण करना चाहिए। दीपक जलाने चाहिए। दीपकों को सर्वानिष्ट निवृत्ति हेतु अपने मस्तक पर घुमाकर चौराहे या श्मशान में रखना चाहिए।राजा का कर्तव्य है कि नगर में ढिंढोरा पिटवाकर दूसरे दिन बालकों को अनेक प्रकार के खेल खेलने की आज्ञा दें। बालक क्या-क्या खेल सकते हैं, इसका भी पता करना चाहिए। यदि वे आग जलाकर खेलें और उसमें ज्वाला प्रकट न हो तो समझना चाहिए कि इस वर्ष भयंकर अकाल पड़ेगा।

यदि बालक दुख प्रकट करें तो राजा को दुख तथा सुख प्रकट करने पर सुख होगा।  

यदि वे आपस में लड़ें तो राज-युद्ध होने की आशंका होगी।  

बालकों के रोने से अनावृष्टि की संभावना करनी चाहिए।  

यदि वे घोड़ा बनकर खेलें तो मानना चाहिए कि किसी दूसरे राज्य पर विजय होगी।  

यदि बालक लिंग पकड़कर क्रीड़ा करे तो व्यभिचार फैलेगा।  

यदि वे अन्न-जल चुराएं तो इसका अर्थ होगा कि राज्य में अकाल पड़ेगा।


Similar questions