Diye Gaye ganon ke bare mein likhkar man ka vichar
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✎... 'ईमानदारी की प्रतिमूर्ति' पाठ में लेखक की माँ का विचार था, कि गहनें हमेशा संकट के समय काम आने वाली वस्तु हैं। संकट के समय उनका मोह नही करना चाहिये और संकट के समय उनकी सहायता से बुर समय का निवारण कर लेना चाहिये। अच्छा समय आने पर गहने फिर से बन जायेंगे। सुख-दुख जीवन के दो चरण हैं, जिनका आना जाना लगा रहना है।
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