Do Dosto ki kahani 50,6o sabdo me
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तिन साल पहले वह और उसके पिताजी एक गाँव में कुछ सामान बेचने जा रहे थे| आते हुए रास्ते में वह एक ढाबे पर चाय पिने के लिए रुके, तभी उसके पिताजी के साइन में अचानक दर्द होने लगा| उसने एक मिनट भी देर किये बगैर अपने पिताजी को पास के एक अस्पताल पहुँचाया ,लेकिन वहां के डाक्टरों ने जल्द से जल्द उन्हें किसी बड़े अस्पताल में ले जाने को कहा| बड़ा अस्पताल वहां से तिन घंटे की दुरी पर शहर में था| वह अपने पिताजी को शहर के एक बड़े अस्पताल में ले गया लेकिन तब तक उसके पिताजी उसको छोड़ कर जा चुके थे| वह अन्दर से बिलकुल टूट चूका था| उस दिन उसे यह बात समझ नहीं आई थी लेकिन आज उसे यह बात समझ आ गई थी की अगर उस दिन गाँव के उस अस्पताल में कोई बड़ा डॉक्टर होता तो आज उसके पिताजी जिंदा होते|
सालों से अपने दिल की गहराई में छुपी इस बात को आज जानकर उसकी ज़िन्दगी का लक्ष्य उसे पता चल चूका था| जहाँ पहले वह दिन में एक घंटा भी पढ़ नहीं पाता था आज वह डॉक्टर बनने के लीए दिन-रात पढने लगा| वहीँ उसका दोस्त भी अपने BMW के सपने को पूरा करने के दिन रात एक कर रहा था| 10 साल बाद पहला दोस्त एक बहुत बड़ा डॉक्टर बना और दुसरे दोस्त ने भी अपने सपने को पूरा करते हुए एक BMW कार खरीद ली|
लेकिन, पहला दोस्त जो डॉक्टर था वह अपने काम से प्यार करता था और गाँव में लोगों की जान बचाकर बहुत खुश रहता| भले ही उसे BMW नहीं मिली हो लेकिन फिर भी आज वह बहुत खुश था| वहीँ दूसरा दोस्त जिसके पास BMW कार थी अपने काम से बहुत दुखी रहता| दिन भर उसे अपनी कार के चले जाने की चिंता सताए रहती|
पहला दोस्त जो डॉक्टर था वह अपनी ज़िन्दगी ख़ुशी-ख़ुशी जी रहा था जबकि दूसरा दोस्त अब एक बड़े घर को पाने के लिए अब भी उसी रेस में लगा हुआ था|
तो दोस्त कहानी का सार यह है की हमेशा अपने काम से प्यार करो| वह करो जो तुम्हारा दिल कहता है, वह करो जो दुम्हारा दिल करना चाहता है| क्यों की पैसे से प्यार करोगे तो पैसे के चले जाने का हमेशा दुःख रहेगा लेकिन अगर अपने काम से प्यार करोगे तो काम में हमेशा मन लगा रहेगा और ज़िन्दगी भर खुश रहोगे|