Hindi, asked by kalpitsaini9811, 1 year ago

Do mitro ke beech badhta pradushan par sanwad in hindi in long(15 lines)

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Answered by sanjeevkr974p96guz
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 दोस्तों कसम ये खाये, प्रदुषण को हम दूर भगाये…

प्रदूषण शब्द का अर्थ होता है चीजो को गन्दा करना. वर्तमान में हम खतरनाक रूप से पर्यावरण प्रदूषण की समस्या से घिरे हुए हैं. और यह समस्या भविष्य में हमारे लिये जानलेवा भी हो सकती है. इस भयंकर सामाजिक समस्या का मुख्य कारण हैं औद्योगीकरण वनों की कटाई और शहरीकरण प्राकृतिक संसाधन को गन्दा करने वाले उत्पाद जो की सामान्य जीवन की दैनिक जरूरतों के रूप इस्तेमाल की जाती है. रास्तो पर गाडियों का ज्यादा उपयोग होने से पेट्रोल और डीजल का भी ज्यादा से ज्यादा अपव्यय होगा और गाडियों से निकलने वाले धुए से वायु प्रदुषण होता है.

पर्यावरण प्रदुषण / Pollution में सभी हानिकारक प्रदूषक हमारे स्वास्थ पर विपरीत प्रभाव डालते है. प्रदुषण के बहोत से प्रकार होते है जिनमे मुख्य रूप से जल प्रदुषण, वायु प्रदुषण, भू प्रदुषण और ध्वनि प्रदुषण शामिल है. उद्योगों में बड़े पैमाने पर उत्पादन किया जाता है और इस प्रक्रिया में केमिकल, विषैले पदार्थ और गैस का उपयोग किया जाता है जो मानवी स्वास्थ के लिये हानिकारक होते है. इससे प्रकृति में विभिन्न प्रकार की समस्याये उत्पन्न होती है जैसे की ग्लोबल वार्मिंग / Global Warming, जल प्रदुषण, वायु प्रदुषण / Air Pollution इत्यादि. पिछले एक दशक में प्राकृतिक प्रदूषक का स्तर बहोत बढ़ा है. सभी प्रकार के प्रदूषण बेशक पूरे पर्यावरण और इकोसिस्टम को प्रभावित कर रहे हैं मतलब जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित कर रहे हैं. मनुष्य की मूर्ख आदतों से पृथ्वी पर स्वाभाविक रूप से सुंदर वातावरण दिन-ब-दिन बिगड़ता जा रहा है. प्रदूषण सबसे गंभीर मुद्दा बन गया है और हर किसी को अपने दैनिक जीवन में स्वास्थ्य सम्बंधि बीमारियों का सामना करना पड़ रहा है.

इस पुरे ब्रह्माण्ड में केवल पृथ्वी ही एक ऐसा ग्रह है जहा जिंदगी के सभी संसाधन उपलब्ध है. इस ग्रह ने हमें जिंदगी दी और हमने इस ग्रह को प्रदूषित किया. इस से तो बेहतर है की हम इस ग्रह को बदलने की कोशिश ही न करे. हम दशको से पृथ्वी को प्रदूषित कर रहे है. हम सभी इसी ग्रह पर रहते है इसीलिये हमारी यह जवाबदारी है की हम इसे स्वस्थ और प्रदुषणरहित रखे. लेकिन हम अपने दैनिक कामो को चलते इतने व्यस्त हो गये की हम हमारी जिम्मेदारियों को ही भूल गये. साफ़ पानी और शुद्ध हवा हमारी स्वस्थ जिंदगी के लिये बहोत जरुरी है. लेकिन आज के आधुनिक युग में इन दो में से एक भी संसाधन साफ़ और शुद्ध नही. अगर ऐसा ही चलता रहा तो आने वाले सालो में इस ग्रह पर कोई जिंदगी नही रहेगी.

पृथ्वी पर सभी प्राकृतिक गैसो का संतुलन बने रहना बहोत जरुरी है. और ये संतुलन पदों से ही बना रहता है लेकिन हम अपने स्वार्थ के लिये पेड़ो को काट रहे है. जरा सोचिये की यदि इस ग्रह पर पेड़ ही न रहे तो क्या होगा, पेड़ हमारे द्वारा छोड़ी गयी गैस कार्बोन डाइऑक्साइड को ग्रहण करते है और ओक्सिज़न को छोड़ते है. यदि पेड़ इस दुनिया में नही होंगे तो वातावरण में कार्बोन डाइऑक्साइड का प्रमाण बढ़ जायेगा, और इससे ग्लोबल वार्मिंग का खतरा भी बढ़ जायेगा. प्राकृतिक संसाधनों के साथ छेड़-छाड़ करने से प्राकृतिक आपदाये भी आ सकती है. आज के आधुनिक युग में हमने औद्योगिक विकास तो कर ही लिया है लेकिन प्राकृतिक विकास हम नही कर पाये. हम औद्योगिक विकास करने के चक्कर में हमारी प्रकृति को ही भूल गये. और इसी वजह से आज दुनिया में अलग-अलग तरह की बीमारिया उत्पन्न हो रही है. औद्योगीकरण की वजह से जीवन रक्षा प्रणाली तेजी से जीवन विनाशी प्रणाली में परिवर्तित हो रही है.

प्रदूषण के दुष्प्रभावों के बारे में विचार करें तो ये बड़े गंभीर नजर आते हैं. प्रदूषित वायु में साँस लेने से फेफड़ों और श्वास-संबंधी अनेक रोग उत्पन्न होते हैं. प्रदूषित जल पीने से पेट संबंधी रोग फैलते हैं. गंदा जल, जल में रहने वाले जीवों के लिये भी बहुत हानिकारक होता है. ध्वनि प्रदूषण मानसिक तनाव उत्पन्न करता है. इससे बहरापन, चिंता, अशांति जैसी समस्याओं से गुजरना पड़ता है.

आधुनिक वैज्ञानिक युग में प्रदूषण को पूरी तरह समाप्त करना टेढ़ी खीर हो गई है. अनेक प्रकार के सरकारी और गैर-सरकारी प्रयास अब तक नाकाम सिद्ध हुए हैं. हरेक को ये सोचना चाहिये कि वे आस-पास कूड़े का ढ़ेर व गंदगी इकट्ठा न होने दें. जलाशयों में प्रदूषित जल का शुद्धिकरण होना चाहिये. कोयला तथा पेट्रोलियम पदार्थों का प्रयोग घटाकर सौर-ऊर्जा, सी.एन.जी., पवन-ऊर्जा, बायो गैस, एल.पी.जी., जल-विद्युत जैसे वैकल्पिक ऊर्जा स्त्रोतों का अधिकाधिक उपयोग करना चाहिये. इन सभी उपायों को अपनाने से वायु प्रदूषण और जल प्रदूषण को घटाने में काफी मदद मिलेगी.

ध्वनि प्रदूषण को कम करने के लिये कुछ ठोस एवं सकारात्मक कदम उठाने की आवश्यकता है. रेडियो, टीवी, ध्वनि विस्तारक यंत्रों आदि को कम आवाज में बजाना चाहिये. लाउडस्पीकरों के आम उपयोग को प्रतिबंधित कर देना चाहिये. वाहनों में हल्के आवाज करने वाले ध्वनि-संकेतकों का प्रयोग करना चाहिये. घरेलू उपकरणों को इस तरह प्रयोग में लाना चाहिये जिससे कम से कम ध्वनि उत्पन्न हो.

निष्कर्ष रूप में कहा जा सकता है कि प्रदूषण को कम करने का एकमात्र उपाय सामाजिक जागरूकता है. प्रचार माध्यमों के द्वारा इस संबंध में लोगों तक संदेश पहुँचाने की आवश्यकता है. सामुहिक प्रयास से ही प्रदूषण की विश्वव्यापी समस्या को नियंत्रित किया जा सकता है. इसे गंभीरता से निपटने की जरूरत है अन्यथा हमारी आने वाली पीढ़ी बहोत ज्यादा भुगतेगी.

Answered by Anonymous
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Answer:

संवाद शब्द ‘वाद’ मूल शब्द में ‘सम्’ उपसर्ग लगाने से बना है। संवाद का अर्थ है वार्तालाप या बातचीत। अर्थात् दो व्यक्तियों के बीच किसी विषय पर हुई बातचीत को संवाद कहते हैं। उनके मध्य हुई बातचीत को लिपिबद्ध करना ही संवाद-लेखन कहलाता है। अच्छा संवाद लेखन करते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए-

संवाद सुनने वाले की उम्र, रुचि को ध्यान में रखना चाहिए।

वाक्यों का स्पष्ट, शुद्ध उच्चारण करना चाहिए। रोचकता और सहजता होनी चाहिए।

विषय पर पकड़ एवं संबद्धता होनी चाहिए।

मनोभावों को स्पष्ट करने के लिए विराम चिह्नों का प्रयोग आवश्यक है।

आइए संवाद लेखन के कुछ उदाहरण देखते हैं

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