do mitron ke beech samajik buraiye mein samvad lekhiye
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अभय – नमस्ते उमंग, कैसे हो?
उमंग – नमस्ते अभय, मैं ठीक हूँ। अपनी कहो, कैसे हो?
अभय – मैं भी बिलकुल ठीक हूँ। तुम आजकल कहाँ रहते हो? दिखाई ही नहीं देते।
उमंग – मित्र, इन छुट्टियों को मैं खेलकूद में नहीं बिताना चाहता हूँ। मैं ग्यारहवीं की पढ़ाई में अभी से जुट गया हूँ।
अभय – अरे! क्या बनना चाहते हो, बड़े होकर, जो इतनी मेहनत कर रहे हो?
उमंग – मैं इंजीनियर बनना चाहता हूँ। इसके लिए ग्यारहवीं-बारहवीं की विज्ञान की कठिन पढ़ाई और फिर बाद में आई०आई०टी० का उच्च स्तरीय टेस्ट पास करने के लिए मेहनत ज़रूरी है।
अभय – ठीक कहते हो, आज की इस मेहनत के बाद प्रतिष्ठा और पैसा दोनों ही तुम्हारे कदम चूमेंगे।
उमंग – अरे! मैंने तो पूछा ही नहीं कि बड़े होकर तुम क्या बनना चाहते हो?
अभय – मैं आई०पी०एस० बनना चाहता हूँ।
उमंग – अच्छा तो मोटा पैसा कमाना चाहते हो।
अभय – नहीं अभय, मैं पुलिस अधिकारी बनकर देश द्रोहियों और आतंकवादियों के मंसूबों पर पानी फेरना चाहता हूँ। पैसा कमाना होता तो मैं आई०ए०एस० बनने की सोचता।
उमंग – इरादे तो तुम्हारे नेक हैं। ईश्वर तुम्हें सफलता दे।
अभय – धन्यवाद, उमंग, ईश्वर तुम्हें भी लक्ष्य तक पहुँचाए।
उमंग – धन्यवाद! अच्छा फिर मिलते हैं।