do sankhya ke bich abhajya sankhya nikalne ka formula
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प्राचीन काल में मनुष्य रस्सी में गांठ बांधकर या पेड़ पर कटावदार चिन्ह बनाकर गिनती की शुरुआत करता था जो कालांतर में संख्या का रूप ले लिया और और बाद में विभिन्न सभ्यताओं ने अपनी अपनी संख्या पद्धति का विकास किया. 300 ईशा पूर्व तक भारतीय गणितज्ञ ने कुछ संख्यांक का खोज किया परन्तु इसमें शुन्य का उल्लेख नहीं था. शुन्य के खोज के उपरांत स्थानीय मान वाला अंक प्रणाली की खोज का श्रेय भारत को ही जाता है जिसे बाद में अरब गणितज्ञ ने प्रचार किया और अभी बर्तमान अंक पद्धति को हिन्दू अरबी अंक पद्धति कहा जाता है . 1220 में अंको की कहानी (लिबेर अबाची) पुस्तक द्वारा फिबोनाची ने पश्चिमी देशो में 0 – 9 अंको वाली दाशमिक प्रणाली से अवगत कराया .
अंको के मान
किसी संख्या के अंको के दो मान होते है – 1. अंकित या वास्तविक या शुद्ध मान 2. स्थानीय मान
किसी अंक का वह मान जो कभी नहीं बदलता है उसे वास्तविक मान कहते है और वह मान जो उनके स्थान विशेष की स्थिति के अनुसार बदलता है स्थानीय मान कहलाता है.
उदाहरण:- 235 में 2 का अंकित मान 2 तथा स्थानीय मान 200 है.
करोड़ लाख हजार इकाई
दस करोड़ करोड़ दस लाख (मिलियन ) लाख दस हजार हजार सैकड़ा दहाई इकाई
100000000 10000000 1000000 100000 10000 1000 100 10 1
10^8 10^7 10^6 10^5 10^4 10^3 10^2 10^1 10^0
संख्या के प्रकार
1. प्राकृत संख्या – गिनती की संख्या को प्राकृत संख्या कहते है . जैसे 1, 2, 3, ----- इत्यादि
2. पूर्ण संख्या :- प्राकृत संख्या में 0 सम्मिलित करने पर पूर्ण संख्या का समूह बनता है . जैसे 0, 1, 2, ..
3. पूर्णांक संख्या :- प्राकृत संख्या में 0 और ऋण संख्या सम्मिलित करने पर पूर्णांक संख्या प्राप्त होती है . --- जैसे -3, -2 , -1 , 0, 1, 2, 3,---
4. सम संख्या :- 2 से विभाजित संख्या . जैसे 0, 2, 4----
5. विषम संख्या:- ऐसी संख्या जो 2 से पूर्ण रूप से बिभाजित नहीं हो. जैसे 1, 3, 5, 7---
6. भाज्य संख्या :- ऐसी प्राकृत संख्या जो 1 या स्वयं के अतिरिक्त दूसरी संख्याओ से विभाजित हो जाये. जैसे 4, 6, 8, 9,10,---
7. अभाज्य संख्या :- 1 से बड़ी ऐसी प्राकृत संख्या जो 1 या स्वयं के अतिरिक्त किसी अन्य संख्या से विभाजित न हो. जैसे -2, 3, 5, 7, ----
8. परिमेय संख्या :- जो संख्या p/q के रूप में हो जहाँ p और q दो पूर्णांक है तथा q ≠0 परिमेय संख्या कहलाती है . जैसे ¾ , 17/49 , 0, 5, ---
9. अपरिमेय संख्या :- जो संख्या p/q के रूप में न हो .जहाँ p और q पूर्णांक हैं और q ≠0 जैसे √2, √3 , ---
एक संख्या अभाज्य है की नहीं की जाँच :-
दो संख्या के बीच कितने अभाज्य संख्या है को निकालने के लिए कोई संख्या इरास्थेनिस के द्वारा एक बिधि का उल्लेख आता है परन्तु प्रतियोगिता परीक्षा में किसी दी हुई संख्या के अभाज्य होने या न होने पर प्रश्न पूछे जाते हैं. मान लीजिये की p एक दी हुई संख्या है तो सबसे पहले आप n एक ऐसी संख्या खोजिये जिससे n^2 ≥ p हो . अब आप n से छोटी सभी अभाज्य संख्या से p को भाग दें यदि p इनमे से किसी भी संख्या से भाजित न हो तो p अभाज्य है नहीं तो p भाज्य होगी
उदाहरण :- क्या 437 अभाज्य है ?
हल :- यहाँ (21)^2 > 437 है और 21 से छोटी अभाज्य संख्या क्रमशः 2, 3, 5, 7,11,13,17,19 है और 437 संख्या 19 से विभाजित है अतः 437 अभाज्य नहीं है
उदाहरण :- क्या 811 अभाज्य है ?
हल :- यहाँ (30)^2 > 811 है और 30 से छोटी अभाज्य संख्या क्रमशः 2, 3, 5, 7,11,13,17,19,23 और 29 है और 437 किसी संख्या से विभाजित नहीं है अतः 811 अभाज्य है.
दो परिमेय संख्या के बीच अनगिनत परिमेय संख्या निकालना:-
यदि दो संख्या p और q हैं और इनके बीच हमें n परिमेय संख्या निकालना है तो इसके दो बिधि है
पहली विधि :- इस सूत्र में n = 1, 2, 3, ----- है
उदाहरण:- 2 और 3 के बीच 2 परिमेय संख्या निकालें
हल :- यहाँ p = 2 और q = 3 है , पहली संख्या के लिए n = 1 लेने पर 5/2 तथा n = 2 रखने से 8/3 प्राप्त होती है. आप n के अलग अलग मान के लिए अपनी इच्छा से अनगिनत संख्या निकाल सकते हैं .
दूसरी विधि :- संख्य को 10 से गुना और भाग करें
2 = 20/10 और 3 = 30/10 लिख सकते हैं.
21/10 , 22/10 , 23/10 -----------29/10 परिमेय संख्या है . आप 100 से गुना और भाग देकर और भी अधिक संख्या निकाल सकते हैं
2 = 200/100 और 3 = 300 / 100 है और 201/100 , 202/100---------------299/100 परिमेय है.