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निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर प्रश्नों के उत्तर
दीजिए|2*3=6
लोहे की एक मोटी छड़ को भट्ठी में गलाकर धनराम गोलाई में
मोड़ने की कोशिश कर रहा था। एक हाथ से सँडसी पकड़कर
जब वह दूसरे हाथ से हथौड़े की चोट मारता तो निहाई पर ठीक
घाट में सिरा न फैसने के कारण लोहा उचित ढंग से मुड़ नहीं पा
रहा था। मोहन कुछ देर तक उसे काम करते हुए देखता रहा फिर
जैसे अपना संकोच त्यागकर उसने दूसरी पकड़ से लोहे को स्थिर
कर लिया और धनराम के हाथ से हथौड़ा लेकर नपी-तुली चोट
मारते, अभ्यस्त हाथों से धौंकनी फूंककर लोहे को दुबारा भट्ठी में
गरम करते और फिर निहाई पर रखकर उसे ठोकते-पीटते सुघड़
गोले का रूप दे डाला।
ग. पाठ के लेखक का नाम लिखिए ?
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What is this cannot understand ununderstantable dear
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