Does anyone know the chapter 'kural saptak'(hindi) ?
If so, please give a summary on the chapter.
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कवि तिरुवल्लुवर द्वारा रचित रचना तिरुक्कुरल के अंतर्गत कुरल रचे गए हैं । ये दोहे की भांति अपितु उससे भी छोटे छोटे छंद की भांति है । उनकी रचना से ये सात (कुरल सप्तक ) लिए गए हैं सभी शिक्षाप्रद हैं । इस रचना का सार है कि मनुष्यों को सत्कर्म करके संसार को एक परिवार मानना चाहिए । काम,क्रोध,लोभ आदि छोड़कर परस्पर प्रेम पूर्वक रहना चाहिए ।
समय और विद्याधन को महिमा मंडित करके पुरुषार्थ करने की सीख दी गई है। ऐसे कर्म करने चाहिए जिससे संसार हमारा सम्मान करें। निंदनीय कर्म सर्वथा त्याज्य है। अच्छे आचरण से हम शत्रु को भी मित्र बना सकते है ।
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