Hindi, asked by franklalith, 3 months ago

Doha of rahem. answer ​

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Answered by kiranchoudhary1107
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Answer:

रहिमन धागा प्रेम का, मत तोड़ो चटकाय।

टूटे से फिर ना मिले, मिले गाँठ परि जाय॥

शब्दार्थ -

चटकाय - झटके से

परि जाय - पड़ जाती है

व्याख्या - रहीम जी कहते हैं कि प्रेम का बंधन किसी धागे के समान होता है, जिसे कभी भी झटके से नहीं तोड़ना चाहिए बल्कि उसकी हिफ़ाज़त करनी चाहिए। कहने का तात्पर्य यह है कि प्रेम का बंधन बहुत नाज़ुक होता है, उसे कभी भी बिना किसी मज़बूत कारण के नहीं तोड़ना चाहिए। क्योंकि जब कोई धागा एक बार टूट जाता है तो फिर उसे जोड़ा नहीं जा सकता। टूटे हुए धागे को जोड़ने की कोशिश में उस धागे में गाँठ पड़ जाती है। उसी प्रकार किसी से रिश्ता जब एक बार टूट जाता है तो फिर उस रिश्ते को दोबारा पहले की तरह जोड़ा नहीं जा सकता।

Answered by pariharkiran
2

Answer:

KIRAN IS RIGHT

THANK YOU

HAVE A GOOD DAY

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