Hindi, asked by johnmorison, 1 year ago

doordarshan ke labh aur hani

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Answered by rachanavyas
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दूरदर्शन के लाभ- हानि| doordarshan ke labh-haani. Advantages and disadvantages of doordarshan.

१९५९ में जब दूरदर्शन का भारत में पदार्पण हुआ तभी से ये घर-घर का चहेता बन गया| इसमें दृश्य और श्रव्य दोनों उपलब्ध होने से ये मनोरंजन का प्रधान साधन बन गया| तत्कालीन समय में प्रसारित धारावाहिक रामायण, महाभारत, चाणक्य, हम लोग, मालगुडी डेज आदि न सिर्फ शुद्ध मनोरंजन किया वरन भारतीय संस्कृति को भी अक्षुण्ण रखा| आज केबल आने से असंख्य चेनल चौबीस घंटे उपलब्ध है पर वे वर्जित सामग्री परोसकर हमारी संस्कृति को विकृत कर रहे है| इस दृष्टि से भले ही लोग दूरदर्शन को भूल चुके हो पर वो अपनी साख बनाये रखे है| प्रथमत: दूरदर्शन के समाचार बिलकुल नपे-तुले शब्दों में सटीक होते है| अन्य  खबरिया चैनल्स की तरह वे पक्षपातपूर्ण और बार-बार नही दिखाए जाते| भाषा भी शिष्ट व शालीन होती है| दूरदर्शन के अन्य चैनल्स में लोकसभा और राज्यसभा की खबरें प्रसारित होती है| गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस की परेड आदि कार्यक्रम सीधे प्रसारित किये जाते है| अति सुदूर क्षेत्रो में जहाँ केबल की पहुच नहीं है वहां आज भी दूरदर्शन चाव से देखा जाता है| प्रधानमंत्री का उद्बोधन ‘मन की बात’ भी इस पर प्रसारित होता है| राष्ट्रीय स्तर की खेल प्रतियोगिताये भी इसी पर प्रसारित होती है| अब हम इसकी हानियों की चर्चा करेंगे|वर्तमान में  विद्यार्थियों के लिए इस पर प्रभावशाली कार्यक्रमों का अभाव है| इसके अति दर्शन से नेत्रदृष्टि को हानि होती है| इस पर नेशनल जियोग्राफिक जैसे खोजी कार्यक्रमों का अभाव है जिससे शिक्षाप्रद कार्यक्रमों के लिए दर्शक केबल पर निर्भर है| इस प्रकार संक्षेप में दूरदर्शन आज वैसा लोकप्रिय नही रहा पर ये अपनी साख बनाने में संघर्षरत है|

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