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नीम का पेड़
बादाम का पेड़
अनार का पेड़
सीताफल का पेड़
रोली- दर्शकों! मैं रोली पांडे आप सभी को इस सभा का आंखों देखा हाल बताऊंगी। मेरे साथ कैमरे पर हैं आशुतोष तथा साथी। रिपोर्टर है मन्न्त।
मन्नत- (रोली से) देखो यहां पेड़ों का आना जाना शुरू हो गया है। दर्शकों! मैं आपको बता दूं आज इस सभा को बुलाया है पेड़ों के राजा आम ने।
रोली- ये देखिए दर्शकों! आम के पेड़ पधार रहे हैं। आह... हां... हां... उन्हें देखकर मेरे मुंह में पानी आ रहा है।
मन्नत- दर्शकों! मैं आपको बताना चाहूंगा आम को फलों का राजा कहते हैं। जब आम कच्चा होता है, तब उसकी चटनी और अचार बनाते हैं। पकने के बाद मीठे-मीठे रसीले आम को हम सभी स्वाद लेकर खाते हैं।
रोली- आम के पीछे-पीछे नीम के हरे-भरे विशाल वृक्ष का आगमन भी हो रहा है। स्वाद में कड़वा जरूर है, लेकिन गुणों की खान है यह पेड़।
मन्नत- वो देखिए दर्शकों! जामुन, अनार और बादाम तीनों बातें करते हुए एकसाथ आ रहे हैं।
रोली- आमंत्रित पेड़ों में एक-एक कर सभी आ चुके हैं। सबने अपना-अपना स्थान भी ग्रहण कर लिया है। लेकिन यह क्या! सभी तो शुरू हो ही नहीं रही है। (मन्नत से) क्या तुम्हें मालूम है अब किसका इंतजार हो रहा है?
मन्नत- हां रोली! सीताफल के पेड़ की प्रतीक्षा की जा रही है। वे जैसे ही आएंगे, सभा शुरू हो जाएगी।
रोली- दर्शको! इंतजार की घड़ियां समाप्त हुई। सीताफलजी भी आ रहे हैं (दर्शकों से) अरे यह क्या! ये तो काफी कमजोर नजर आ रहे हैं। लगता है इनकी तबीयत खराब है तभी ये धीरे-धीरे चल रहे हैं।
मन्नत- ये देखिए दर्शकों! आम के पेड़ द्वारा सभा का अभिवादन किया जा रहा है। आगे का हाल क्यों न हम सब उन्हीं की जुबानी सुनें।
आम- मित्रो! मैं जानता हूं आप सभी उत्सुक हैं। आज की सभा क्यों अचानक बुलाए जाने का कारण जानने के लिए ('जी हां' सभी पेड़ एक स्वर में)।
अनार- (आम के पेड़ से) भैया! जल्दी से कारण बताओ और सभा समाप्त करो। मैं ज्यादा देर रुक नहीं पाऊंगा। मेरी तबीयत ठीक नहीं है।
बादाम- (बीच में टोकते हुए) भैया! इन दिनों मैं भी कुछ कमजोरी महसूस कर रहा हूं। (बाकी पेड़ भी आपस में बात करने लगते हैं।)
आम- कृपया शांत रहिए, शांत रहिए। मैं आपकी इन्हीं समस्याओं को लेकर चिंतित हूं इसीलिए मैने आज ये सभा बुलाई है।
सीताफल- भैया! नेकी और पूछ-पूछ! सभा शुरू कीजिए।
आम- देखिए मित्रो! मैं आप सबकी दशा से भली-भांति परिचित हूं। मुझे आज भी याद है वो दिन जब हम सभी बगिया में हंसी-खुशी जीवन जी रहे थे। लेकिन आजकल मनुष्यों का व्यवहार हमारे प्रति उदासीन हो गया है। वे आए दिन अपने स्वार्थ के लिए हमारा शोषण कर रहे हैं।
बादाम- परिणामस्वरूप हम कमजोर हो रहे हैं।
जामुन- मनुष्य कभी हमारे हरे-भरे तने को काट देते हैं, तो फल तोड़ते समय हमें घायल कर देते हैं।
अनार- भैया! आजकल तो मुझे भरपूर पानी भी नहीं मिल पा रहा है।
नीम- हम रोगों से लड़ने के लिए औषधि भी देते हैं।
अनार- उन्हें हम सबसे महत्वपूर्ण चीज ऑक्सीजन देते हैं, जो कि उनके लिए प्राणवायु का कार्य करती है। उनके द्वारा छोड़े गए कार्बन डाई ऑक्साइड को हम ही तो ग्रहण करते हैं।
जामुन- अनार! हम हमारे द्वारा दिए गए सामानों की सूची बनाए तो इस सभा का समय भी कम पह़ जाएगा।
नीम- (जामुन के पेड़ का समर्थन करते हुए) सही कहा आपने जामुनजी।
सीताफल- इतने लाभकारी हैं हम फिर भी ये नासमझ मनुष्य हमें चोट पहुंचा रहे हैं। नष्ट करने पर तुले हैं। नित नए ढंग से वे हमारा दोहन और शोषण कर रहे हैं।
अनार- इसमें उपलब्ध वस्तुओं का सेवन तो वे अधिकारपूर्वक करना चाहते हैं, लेकिन बदले में उन्हें देना कुछ नहीं आता है। (सभी आपस में एक स्वर में- 'लेकिन हम करें तो क्या करें?)
आम- मित्रो! हम चाहे तो बहुत कुछ कर सकते हैं।
नीम- वो कैसे?
आम- यदि हम ठान लें तो संपूर्ण मानव जाति को दिन में तारे दिखा सकते हैं।
जामुन- लेकिन भैया, हमें तो कुछ सूझ नहीं रहा है, आप ही राह दिखाइए।
आम- मित्रो! आज जैसे मनुष्य हमारे प्रति उदासीन हो गए हैं, वैसे हमें भी इनके प्रति उदासीन होना पड़ेगा। उन्हें आसानी से सारी चीजें उपलब्ध हो रही हैं। यदि उन्हें ये चीजें नहीं मिलेंगी तो उनकी बुद्धि ठिकाने आ जाएगी। (सभी पेड़ एकसाथ आम के पेड़ को स्वीकृति देते हैं।)
सभी पेड़- आज की सभा का परिणाम आ चुका है। पेड़ों ने मनुष्यों को सबक सिखाने की ठान ली है। उन्होंने ऑक्सीजन, फल-फूल, लकड़ी, औषधि, अनाज, साग-सब्जी आदि महत्वपूर्ण चीजें देने से इंकार कर दिया है।
मन्नत- दर्शकों! सारे पेड़ अपने इस फैसले पर अड़े हुए हैं। अब आप ही बताइए, हम सभी इनके बिना कैसे जीवित रह पाएंगे। (बोलते-बोलते मन्नत का दम घुटने लगता है।)
रोली- दर्शकों! यदि अब भी हम सभी नहीं जागे तो इसके परिणाम और भी भयावह हो सकते हैं। उन्होंने तो फैसला कर लिया है। बस अब जागने, सोचने और समझने की बारी हमारी है। दर्शकों! यदि आप पेड़ों के संरक्षण-संवर्धन एवं हित में फैसला ले रहे हैं तो एक स्वर में अपनी स्वीकृति दे। जो दर्शक इस समय हमारे इस कार्यक्रम से सीधे जुड़े हैं, वे अपनी राय हमारे टोल फ्री नंबर्स पर तुरंत प्रेषित करें।
दर्शक- (एक स्वर में चिल्लाते हुए) हम सभी पेड़ों की रक्षा करेंगे, उन्हें नुकसान नहीं पहुंचाएंगे। हम सदैव पेड़ों के हितों के बारे में सोचेंगे। हम अपने स्वार्थ के लिए पेड़ों को नहीं काटेंगे। हम अधिक से अधिक पेड़ लगाएंगे। पेड़ों में भी जीवन है, ये संदेश जन-जन में पहुंचाएंगे।
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