Drishya lekhan Vivah samaroh sandhyakali sthiti
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विवाह का दृश्य | Marriage in Hindi!
भारतीय परम्परा में विवाह एक महत्त्वपूर्ण संस्कार है । लड़का हो अथवा लड़की, दोनों की ही शादी यथा सम्भव धूमधाम से सम्पन्न होती है । प्रत्येक माता-पिता यथा शक्ति और कभी-कभी सीमा से बाहर जाकर भी खर्च करते हैं ।
नव्यता और भव्यता आज के समाज का अभिन्न अंग हैं । इसलिए विवाह शादियों में शान-शौकत का प्रदर्शन और तड़क-भड़क खूब रहती हैं । पिछले सप्ताह मुझे एक सहपाठी की बहन की शादी में जने का अवसर मिला । विद्यालय के और भी मित्र साथ थे । विवाह स्थल केशव पुरम में सनातन धर्म मन्दिर का निकट का पार्क था ।
पूरे पार्क में लम्बा-चौड़ा पण्डाल सजा था । विवाह स्थल के मुख्य द्वार को किले का रूप दिया गया था । द्वार के बाहर विद्युत चालित फव्वारे की भीनी-भीनी बूंदें भी बरस रही थीं । पंडाल में कालीन बिछे हुए थे । लगभग दो हजार कुर्सियां बिछी हुई थी । चारों ओर फूल महक रहे थे ।
एक ओर खाने की व्यवस्था की गई थी । मेजों पर तरह-तरह के व्यंजन सजे हुए थे । कहीं चाट वाले, कहीं गोल गप्पे वाले, कहीं मिष्ठान वाले अपना-अपना सामान सजाए बैठे थे । एक ओर शीतल पेय, दूसरी ओर आइसक्रीम वाले और उनके साथ ही गुलाब जामुन और जलेबी वाले हलवाई बैठे हुए थे ।
कन्या पक्ष की ओर से वर पक्ष के स्वागत की तैयारियां जोरों पर थी । शहनाई वादक मधुर-मधुर ध्वनि करते हुए, शहनाई वादन कर रहे थे । खूब चहल-पहल थी । महिलाएं और बच्चे रंग-बिरंगे परिधानों में बड़े आकर्षक लग रहे थे । नवयुवतियां थाल सजाएं वर की प्रतिक्षा कर रही थीं । लगभग साढ़े नौ बजे बारात पहुँची । कन्या पक्ष की ओर से हार्दिक स्वागत किया गया ।
वर महाशय को महिलाओं ने गीत घोड़ी से उतारा । मुख्य द्वार पर ही चौकी पर खड़े करके तिलक किया गया, आरती उतारी गई, फिर उन्हें कन्या और वर के लिए बने मंच पर बैठाया गया । इस बीच बाराती और अन्य अतिथि खाने-पीने में लग गए । लोग एक-दूसरे से प्रेम-पूर्वक मिल रहे थे ।
इसी बीच में कन्या को लाया गया और वर के समीप आसन पर स्थान दिया गया, दोनों ही बड़े सुन्दर लग रहे थे । जयमाला कार्यक्रम सम्पन्न हुआ । उनके अनेक चित्र लिए गए । वातावरण उल्लासमय और आनन्दमय था । कुछ खाने में व्यस्त थे, कुछ गप्पें लड़ा रहे थे और कुछ नवयुवक भंगड़ा कर रहे थे ।
दोनों पक्षों में आमन्त्रित व्यक्ति अपने पक्षों को भेंट समर्पित कर रहे थे । साढ़े दस बजे के बाद लोग लौटने लगे थे क्योंकि हम लोग कन्या पक्ष से अत: हमने बाद में ही भोजन किया और अपने मित्र की बहन को उपहार देकर शुभकामनाएं दी ।
विवाह का दृश्य सचमुच ही बड़ा सुन्दर था । हर प्रकार की व्यवस्था थी । विवाह में दोनों ही पक्षों की ओर से दिल्ली के गणमान्य व्यक्ति, तीन-चार सांसद सदस्य और एक-दो मंत्री भी थे । वे लोग अपनी कड़ी सुरक्षा के बीच आए । वर-कन्या को आशीर्वाद दिया और अल्पाहार करके चले गए ।