Hindi, asked by Anonymous, 5 months ago

dukh ka adhikar par ek poem
class 9

Answers

Answered by Shivam94057
21

Explanation:

दुख का अधिकार

कैसी विडंबना है समाज की

शिखर पर तो पहुँच गया, पर आज भी है अंधविश्वासी

बेटे को खोने का दुख एक माँ से पुछो

कफ़न का पैसा तक न जुटा पाने का दर्द तो देखो,

एक दिन जो करता था घर की रखवाली

बनानी पड़ रही है आज उसी की समाधि

दूसरे दिन माँ जाकर बाजार में बैठ गई

बहू-बच्चों को खिलाने के लिए घर में एक दाना नहीं

दशा माँ की देखकर लोगों को दया न आया

विपरीत उसके अपवित्र होने का लांछन लगाया

झूठे रीति-रिवाजों में फ़से हैं लोग

कहना बेकार नहीं है, आज भी अंधविश्वासी है लोग

आधुनिक बनने की हौड़ तो है

पर सभी दिलों में छिपा एक चोर तो है

हाय! कैसी विडंबना है समाज की

शिखर पर तो पहुँच गया, पर आज भी है अंधविश्वासी

बड़ी-बड़ी बाते करने वाले छोटे-छोटे लोग

एक माँ की यातना को न समझ पाया

गम में बेटे के एक माँ आसूँ न बहा पाई

कैसी विडंबना है समाज की, आज एक माँ को दुख का भी अधिकार नहीं

कैसी विडंबना है समाज की,

शिखर पर तो पहुँच गया, पर आज भी है अंधविश्वासी |

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