dur ke dhol suhavane essay in hindi??
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दूर के ढोल सुहावने होते हैं पर अनुच्छेद लेखन
सुनी सुनाई बातों पर बिना जांचे-परखे विश्वास कर लेना और फिर अक्सर धोखा खा जाना और उसके बाद पछताना मानव स्वभाव का एक अंग है। ... कई बार मनुष्य अपना घर-द्वार बेचकर देखादेखी में कोई काम करने लगता है। पर जब तक वास्तविकता सामने आ पाती है, सब कुछ लुट चुका होता है।
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please mera answer ko brainliest kar do please.
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दूर के ढोल सुहावने होते हैं पर अनुच्छेद लेखन
सुनी सुनाई बातों पर बिना जांचे-परखे विश्वास कर लेना और फिर अक्सर धोखा खा जाना और उसके बाद पछताना मानव स्वभाव का एक अंग है। ... कई बार मनुष्य अपना घर-द्वार बेचकर देखादेखी में कोई काम करने लगता है। पर जब तक वास्तविकता सामने आ पाती है, सब कुछ लुट चुका होता है
thankyou
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