Dur se aate vah bujurg mere dadaji hain is me she uddeshya air vidhay chant kar ba
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खंडवा. दादाजी धूनीवाले का मुख्य समाधिस्थल खंडवा में ही है। पूज्य श्री केशवानंदजी महाराज एवं हरिहर भोले भगवान की समाधियां खंडवा में है। दरअसल बड़े दादाजी के साथ अनेक पहुंचे संत रहा करते थे, जो दादाजी के निर्वाण के बाद अपनी-अपनी राह निकल गए। जो जहां पहुंचा, उसने वहीं दादाजी का नाम लिया। उनके समाधिस्थ होने के बाद वहां उनकी समाधि एवं दादाजी का मूल स्थान बना रहा। ऐसे ही कुछ स्थान ऐसे भी रहे जहां दादाजी ने कुछ दिन पड़ाव डाला, धूनी रमाई और आगे निकल गए। बाद में भक्तों ने उस स्थान को पवित्रता के साथ सजाए रखा। कई बड़े संत तो ऐसे भी रहे, जो साईखेड़ा में पूज्य दादाजी के दर्शनार्थ आए। दादाजी की आज्ञा पाकर निकल पड़े, उन्होंने दादा नाम जारी रखा। इस तरह देशभर में दादाजी धूनीवाले के करीब 30-35 पवित्र स्थान हैं। दादाजी ने नर्मदा किनारे अपनी लीलाएं की। अत: कुछ स्थान जैसे बड़वाह खेड़ीघाट, इंदौर, गवारीघाट, साईखेड़ा में दादा दरबार हैं। विशेषता यह है कि सभी दादाजी स्थानों में पूरी मर्यादा के साथ दादाजी के सेवा विधानों का पालन किया जाता हैं। उत्सव पर भक्त इकट्ठा होते हैं। दादाजी भक्तों में महाराष्ट्र प्रांत के भक्तों का बाहुल्य है। हालांकि राजस्थान, दिल्ली, हरियाणा, हिमाचल, उत्तर प्रदेश, गुजरात में भी अनेक दादाजी के दरबार हैं। अपितु नागपुर, पांडुर्ना, बैतुल, छिंदवाड़ा, सौसर और इस क्षेत्र के गांव गांव में दादाजी का बोलबाला है। उत्सव के दौरान यहां के भक्त पैदल निशान लेकर 25-30 दिन की पदयात्रा का खंडवा आते हैं।