Durdarsan nirdesaly ko letter likhkar anurodh kijiye ki kisoro ke liye desh bhakti ki prera dene wale karykarmo ko prasarit krne ki aoor dhyan diya jaye
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पंडित जगदम्बा प्रसाद मिश्र की इस कालजायी कविता के ये शब्द हमें उन दिनों में आज़ादी की महत्ता एवं उसे प्राप्त करने के लिए चुकाई जाने वाली कीमत का एहसास कराने के लिए काफी हैं। यह वह दौर था जब देश का हर बच्चा बूढ़ा और जवान देश प्रेम की अगन में जल रहे थे। गोपाल दास व्यास द्वारा सुभाष चन्द्र बोस के लिए लिखी गई कविता के कुछ अंश आगे प्रस्तुत हैं जो उस समय देश के नौजवानों को उनके जीवन का लक्ष्य दिखाती थीं-
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