Dussehra par nibandh 500 words
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दशहर हमारा राष्ट्रीय पर्व है यह शक्ति का पर्व है शक्ति प्रतीक देश के लिए आवश्यक है शक्तिशाली देश ही सुख पूर्वक रह सकते हैं शक्तिशाली वीर पुरुष ही अपने तथा अपने देश के स्वाभिमान की रक्षा कर सकते हैं
प्राचीन काल में आजा से सड़क नहीं थी आने जाने के साधन भी आज जैसे नहीं थे अतः साधु संन्यासी किसी एक जगह रहकर चौमासा बिताते थे राजा महाराज भी अपने विजय यात्राओं को रोक देते थे व्हाट्सएप कारण उत्पन्न दोस्त जब शांत हो जाते थे तब साधु-संत अपना भ्रमण आरंभ करते थे और राजा महाराजा विजय मा यात्रा का आरंभ करते थे शरद ऋतु के आने पर राजा लोक शक्ति की देवी की उपासना करते थे तथा का अभ्यास करते थे 9 दिन तक अभ्यास कर लेने के पश्चात आश्विन शुक्ल दशमी के दिन शक्तिशाली राम के प्रार्थना करके अपनी यात्रा आरंभ करते थे
इस पर्व का का संबंध भगवान राम से भी जुड़ा हुआ है भगवान राम ने ऐसी दिन रावण का वध करके विभीषण का लंका के राज्य का विषय क्या था तथा सीता को रावण के अत्याचारों से मुक्ति मिली थी रावण के अत्याचारों से पीड़ित ऋषि मुनि साधु संन्यासियों को ही मुक्ति नहीं मिली थी अपितु सभी पीड़ित मानव समाज अत्याचार अनाचार से मुक्त हो गया था
इस पर्व का सुमन शक्ति की देवी महिषासुर मर्दिनी दुर्गा से भी है महिषासुर नामक राक्षस के अत्याचारों से दब देवता बहुत दुखी हो गए तब विष्णु भगवान के पास गया और भगवान से अपने कष्टों को कहा उसमें भगवान शंकर और ब्रह्मा भी वहां विराजमान थे महिषासुर के अत्याचारों को सुनकर इन तीनों को क्रोध आया और एक जैसी शक्तिशाली में देवी की उत्पत्ति हुई जिसे 9 दिन तक संघर्ष करके दसवें दिन में महिषासुर सहित सभी राक्षसों का वध कर दिया
जब तक रियासतें भारत संघ मैं नहीं मिली थी तब तक इस दिन राजा महाराजाओं की सांवरिया बड़ी धूमधाम से निकलती थी अस्त्र शस्त्रों के पूजन के बाद उनका प्रदर्शन होता था प्रजा बड़े उत्साह से सांवरिया को देती थी और जय जयकार करती थी
उत्तर प्रदेश मध्य प्रदेश तथा बिहार आदि प्रांतों में यह त्यौहार समान रूप से ही मनाया जाता है इस दिन नीलकंठ पक्षी का दर्शन शुभ माना जाता है नील को भी कहते हैं इसके बाद से उनका गला नीला पड़ गया था इस शक्ति प्राप्त करने के लिए हमको सुनना चाहिए इस दिन लोग शमी वृक्ष का पूजन करते हैं कहते हैं कि इसी दिन पांडवों ने शमी वृक्ष पर टांगे हुए अपने अस्त्र शस्त्रों को उतारा था
नवरात्रि के आरंभ होने के पहले से ही प्राय सभी नगरों में रामलीला का आरंभ हो जाता है राम रावण द्वारा किए गए कार्यों की सुंदर झांकियां दिखाई जाती है राम लक्ष्मण के साथ-साथ वानर भालू की सेना के कामों को लेकर लोगों में उत्साह पैदा होता है
बंगाल प्रांत में इस उत्सव को दुर्गा पूजा के रूप में मनाया जाता है नवरात्रों के 9 दिन नव दुर्गा के पूर्व के नाम से समस्त हिंदुओं में प्रख्यात है अतः भारत के सभी हिंदू परिवारों में 9 दिनों तक दुर्गा पूजा होती है तथा अष्टमी तथा नवमी को कुमारी का पूजन होता है बंगाल में उसका विशेष महत्व है प्रत्येक बंगाली अष्टमी के दिन दुर्गा पूजन करता है और नवमी को दुर्गा के सामने भैंस की भेंट चढ़ाई जाती है यह पता दुर्गा जी के महिषासुर शुंभ निशुंभ और चंड मुंड राक्षसों का वध का श्रवण कराती है दशमी को दौरा की मूर्तियों का नदी तालाब या सागर में विसर्जन कर दिया जाता है
राम कि रावण पर विजय अधर्म पर धर्म की विजय पार्क पर पुणे की विजय और अत्याचार पर सदाचार की वजह है आज अत्याचारी भ्रष्टाचारी तस्करी तथा बलात्कारी रूपी रावण बड़ी तेजी से बढ़ रहे हैं सभी समर्थ पुरुषों को चाहिए कि वे इन रावण को विनाश कर सितारों की संपत्ति की रक्षा करें और देशवासियों को अत्याचारों से बचाएं
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dussehra nibandh
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प्रस्तावना
दशहरा हिन्दू धर्म के लोगों का एक महत्वपूर्ण त्यौहार है। इसे पूरे उत्साह के साथ पूरे देश में हिन्दू धर्म के लोगों द्वारा लगातार दस दिन तक मनाया जाता है। इसलिये इसे दशहरा कहते है। पहले नौ दिन तक देवी दुर्गा की पूजा की जाती है , दसवें दिन लोग असुर राजा रावण का पुतला जला कर मनाते है। दशहरा का ये पर्व सितंबर और अक्तूबर के महीने में दीवाली के दो या तीन हफ्ते पहले पड़ता है।
हिन्दू देवी दुर्गा की पूजा के द्वारा इस त्यौहार को मनाया जाता है तथा इसमें प्रभु राम और देवी दुर्गा के भक्त पहले या आखिरी दिन या फिर पूरे नौ दिन तक पूजा-पाठ या व्रत रखते है। नवरात्र को दुर्गा पूजा के नाम से भी जाना जाता है जब देवी दुर्गा के नौ रुपों की पूजा की जाती है।
क्यों ना हम पहले आपने अन्दर के रावण को मारें।
“रावण पर विजय पाने के लिए पहले खुद राम बनना पड़ता है”
हम बाहर रावण का पुतला तो जलाते है लेकिन अंदर उसे पोषित करते है। वो तो सतयुग था जिसमें केवल एक रावण था जिसपर भगवान राम ने विजय प्राप्त की। यह तो कलयुग है जिसमे हर घर में रावण है। इतने रावण पर विजय प्राप्त करना मुश्किल है। विजयादशमी बहुत ही शुभ और ऐतिहासिक पर्व है। लोगो को इस दिन अपने अंदर के रावण पर विजय प्राप्त कर हर्षोल्लास के साथ यह पर्व मनाना चाहिए। जिस प्रकार एक अंधकार का नाश करने के लिए एक दीपक ही काफी होता है वैसे ही अपने अंदर के रावण नाश करने के लिए एक सोच ही काफी है।
ना जाने कई सालों सदियों से पूरे देश में रावण का पुतला हर साल जलाकर दशहरे का त्यौहार मनाया जाता है। अगर रावण की मृत्यु सालों पहले हो गयी थी तो फिर वो आज भी हमारे बीच जीवित कैसे है? आज तो कई रावण हैं। उस रावण के दस सिर थे लेकिन हर सिर का एक ही चेहरा था जबकि आज के रावण का सिर एक है पर चेहरे अनेक हैं, चेहरों पर चेहरे हैं जो नकाबों के पीछे छिपे हैं। इसलिए इनको ख़त्म करने के लिए साल में एक दिन काफी नहीं है इन्हें रोज मारना हमें अपनी दिनचर्या में शामिल करना होगा। उस रावण को प्रभु श्रीराम ने धनुष से मारा था, आज हम सभी को राम बनकर उसे संस्कारों से, ज्ञान से और अपनी इच्छा शक्ति से मारना होगा।
निष्कर्ष
ये 10 दिन लंबा उत्सव होता है, जिसमें से नौ दिन देवी दुर्गा की पूजा के लिये और दसवाँ दिन विजयादशमी के रुप में मनाया जाता है ये असुर राजा रावण पर भगवान राम की जीत के अवसर के रुप में भी मनाया जाता है। इसके आने से पहले ही लोगों द्वारा बड़ी तैयारी शुरु हो जाती है। ये 10 दिनों का या एक महीने का उत्सव या मेले के रुप में होता है जिसमें एक क्षेत्र के लोग दूसरे क्षेत्रों में जाकर दुकान और स्टॉल लगाते है।