Dwitya golmej sammelan kyu assafal hua
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द्वितीय गोलमेज सम्मेलन 7 सितम्बर ,1931 को शुरू हुआ था ,जिसमें कांग्रेस ने भी भाग लिया था और 1 दिसम्बर 1931 को समाप्त हुआ था। यह सम्मेलन भी लन्दन में ही था।[1] यह सम्मेलन साम्प्रदायिक समस्या पर विवाद के कारण असफल रहा। लन्दन से वापस आकर गाँधीजी ने पुनः सविनय अवज्ञा आन्दोलन प्रारम्भ किया। [2]
1-इस सम्मेलन में कांग्रेस ने भाग लिया था जिसमें कांग्रेस की ओर से नेतृत्व महात्मा गांधी ने किया था! 2- इस सम्मेलन में सरोजनी नायडू और एनी बेसेंट ने भाग लिया था जिसमें महिलाओं का नेतृत्व एनी बेसेंट ने किया था! 3- यह सम्मेलन सांप्रदायिकता के कारण ऐसा असफल रहा था जिससे गांधी जी ने वापस भारत आकर 1932 में सविनय अवज्ञा आंदोलन फिर से प्रारंभ किया था! 4-गांधीजी दूसरे गोलमेज सम्मेलन में भाग लेने के लिए लंदन राज राजपूताना जहाज से गए थे! 5-इसी समय फ्रैंक मोरेस ने गांधी जी के बारे में कहा,"अर्द्ध नंगे फकीर की ब्रिटिश प्रधानमंत्री से वार्ता हेतु सेंट जेम्स पैलेस की सीढ़िया चढ़ने का दृश्य अपने आप में अनोखा एवं दिव्य प्रभाव उत्पन्न करने वाला था।
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द्वितीय गोलमेज सम्मेलन 7 सितम्बर ,1931 को शुरू हुआ था ,जिसमें कांग्रेस ने भी भाग लिया था और 1 दिसम्बर 1931 को समाप्त हुआ था। यह सम्मेलन भी लन्दन में ही था। यह सम्मेलन साम्प्रदायिक समस्या पर विवाद के कारण असफल रहा। लन्दन से वापस आकर गाँधीजी ने पुनः सविनय अवज्ञा आन्दोलन प्रारम्भ किया।
1-इस सम्मेलन में कांग्रेस ने भाग लिया था जिसमें कांग्रेस की ओर से नेतृत्व महात्मा गांधी ने किया था! 2- इस सम्मेलन में सरोजनी नायडू और एनी बेसेंट ने भाग लिया था जिसमें महिलाओं का नेतृत्व एनी बेसेंट ने किया था! 3- यह सम्मेलन सांप्रदायिकता के कारण ऐसा असफल रहा था जिससे गांधी जी ने वापस भारत आकर 1932 में सविनय अवज्ञा आंदोलन फिर से प्रारंभ किया था! 4-गांधीजी दूसरे गोलमेज सम्मेलन में भाग लेने के लिए लंदन राज राजपूताना जहाज से गए थे! 5-इसी समय फ्रैंक मोरेस ने गांधी जी के बारे में कहा,"अर्द्ध नंगे फकीर की ब्रिटिश प्रधानमंत्री से वार्ता हेतु सेंट जेम्स पैलेस की सीढ़िया चढ़ने का दृश्य अपने आप में अनोखा एवं दिव्य प्रभाव उत्पन्न करने वाला था।