Science, asked by tiwarij490, 2 months ago

एंटीबायोटिक या बैक्टीरिया के प्रभावशाली है पर वायरस का विरोध करती है ऐसा क्यों​

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Answered by abhiankita88
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बैक्टीरिया को मारने के लिए बहुत दवाएं हैं लेकिन वायरस से निपटने में क्यों हैं हम पीछे

मेडिकल साइंस में एंटीबायोटिक (antibiotic) यानी बैक्टीरिया (bacteria) को मारने वाली दवाएं (medicines) तो काफी हैं लेकिन वायरस पर हमला करने वाली दवाएं यानी एंटीवायरस (antiviral) काफी कम हैं. क्या वजह है कि वायरस जैसे कि कोरोना वायरस (coronavirus) को खत्म करने वाली दवा बनाना इतना मुश्किल है?

पृथ्वी पर बैक्टीरिया काफी पहले से ऑक्सीजन पैदा करने लगे थे. (प्रतीकात्मक फोटो)

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LAST UPDATED: MAY 9, 2020, 10:25 AM IST

दूसरे विश्व युद्ध (second world war) के दौरान घायल सैनिकों को बचाने के लिए काफी सारी एंटीबैक्टीरियल दवाएं (antibacterial drugs) तैयार हुईं. इनमें पेनिसिलिन (penicillin) सबसे मुख्य थी, जो जख्मों पर पैदा होने वाले बैक्टीरिया को खत्म कर देती थीं. बैक्टीरिया से होने वाली बीमारियों में तो विज्ञान ने खासी प्रगति की लेकिन वायरस का हमला रोकने के लिए ज्यादा कुछ नहीं कर सका. खासकर कोरोना वायरस (coronavirus) के हालिया वैश्विक हमले में ये कमी और उभरकर सामने आई है. दुनिया से सारे देशों से एक के बढ़कर एक वैज्ञानिक इसके लिए एंटीवायरल बनाने में जुटे हुए हैं लेकिन अब तक कोई सफलता नहीं मिल सकी. आखिर क्यों वायरस को मारने वाली दवा बनाना ज्यादा वक्त लेता है और ज्यादा मुश्किलों से भरा है, जानिए.

ऐसे काम करती हैं एंटीवायरल दवाएं

सबसे पहले तो ये समझते हैं कि एंटीवायरल ड्रग्स क्या हैं. ये वे प्रेसक्राइब्ड दवाएं हैं, जो फ्लू से लड़ने के लिए दी जाती हैं. ये टैबलेट, कैप्सूल, सीरप, पाउडर या इंट्रावीनस यानी नसों के जरिए भी दी जाती हैं. ये कभी भी ओवर द काउंटर नहीं मिल सकती हैं, सिर्फ डॉक्टर ही इसे लिख सकते हैं. वैसे बीमारी शुरू होने के 2 दिन यानी 48 घंटे के भीतर अगर एंटीवायरस शुरू हो जाए तो बीमारी जल्दी ठीक होती है वरना दवा लेने के बाद भी जटिलता बढ़ती जाती है.

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