early human period in Punjabi language essay
Answers
Explanation:
वर्षाजल संचयन और कृषि में जल संरक्षण जल ‘जीवन का अमृत’ है। हमें वर्तमान व भावी पीढ़ियों के लिये जल संरक्षण की आवश्यकता है। इस पाठ के माध्यम से आप जल संरक्षण की आवश्यकता तथा जल संग्रहण की विभिन्न विधियों के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकेंगे।
उद्देश्य
इस पाठ के अध्ययन के समापन के पश्चात आपः
i. जल संरक्षण की आवश्यकता व महत्ता का वर्णन कर पाएँगे;
ii. जल संचयन (संग्रहण) की आवश्यकता का वर्णन कर पाएँगे;
iii. पारंपरिक जल संचयन (संग्रहण) की विभिन्न विधियों का विवरण दे पाएँगे तथा उनका वर्गीकरण कर सकेंगे;
iv. आधुनिक जल संचयन के विभिन्न तरीकों का विवरण व वर्गीकरण कर पाएँगे।
30.1 जल संरक्षण की आवश्यकता
जल, जीवन के लिये सबसे अहम प्राकृतिक संसाधन है। आगामी दशकों में यह विश्व के कई क्षेत्रों में एक गंभीर अभाव की स्थिति में चला जायेगा। यद्यपि जल पृथ्वी में सबसे प्रचुर मात्रा में पाया जाने वाला पदार्थ है, फिर भी यह समान रूप से वितरित नहीं है। अक्षांश में परिवर्तन, वर्षा के तरीके (पैटर्न), स्थलाकृति इत्यादि इसकी उपलब्धता को प्रभावित करते हैं।
जल एक ऐसी संपदा है जिसका किसी तकनीकी प्रक्रिया के माध्यम से, जब जी चाहे, तब उत्पादन या संचयन नहीं हो सकता। मूल रूप से, पृथ्वी पर कुल मिलाकर, अलवण जल और समुद्री जल की मात्रा स्थायी रूप से तय है।
❌❌❌❌❌⚠️⚠️⚠️⚠️
Answer:
Explanation:
वर्षाजल संचयन और कृषि में जल संरक्षण जल ‘जीवन का अमृत’ है। हमें वर्तमान व भावी पीढ़ियों के लिये जल संरक्षण की आवश्यकता है। इस पाठ के माध्यम से आप जल संरक्षण की आवश्यकता तथा जल संग्रहण की विभिन्न विधियों के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकेंगे।
उद्देश्य
इस पाठ के अध्ययन के समापन के पश्चात आपः
i. जल संरक्षण की आवश्यकता व महत्ता का वर्णन कर पाएँगे;
ii. जल संचयन (संग्रहण) की आवश्यकता का वर्णन कर पाएँगे;
iii. पारंपरिक जल संचयन (संग्रहण) की विभिन्न विधियों का विवरण दे पाएँगे तथा उनका वर्गीकरण कर सकेंगे;
iv. आधुनिक जल संचयन के विभिन्न तरीकों का विवरण व वर्गीकरण कर पाएँगे।
30.1 जल संरक्षण की आवश्यकता
जल, जीवन के लिये सबसे अहम प्राकृतिक संसाधन है। आगामी दशकों में यह विश्व के कई क्षेत्रों में एक गंभीर अभाव की स्थिति में चला जायेगा। यद्यपि जल पृथ्वी में सबसे प्रचुर मात्रा में पाया जाने वाला पदार्थ है, फिर भी यह समान रूप से वितरित नहीं है। अक्षांश में परिवर्तन, वर्षा के तरीके (पैटर्न), स्थलाकृति इत्यादि इसकी उपलब्धता को प्रभावित करते हैं।
जल एक ऐसी संपदा है जिसका किसी तकनीकी प्रक्रिया के माध्यम से, जब जी चाहे, तब उत्पादन या संचयन नहीं हो सकता। मूल रूप से, पृथ्वी पर कुल मिलाकर, अलवण जल और समुद्री जल की मात्रा स्थायी रूप से तय है।
❌❌❌❌❌⚠️⚠️⚠️⚠️
Explanation: