Eassy on my favorite sport player in hindi(I don't what ms dhoni plzz no dhoni)
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Mera priy khiladi virat kholi hai. Woh ek bhartia team Ka cricketer hai aur saathi hi captaan bhi hai Woh bohot Accha khelte hai aur hamare desh Ka naam Roshan karte hai virat kholi ek right handed batman hai ubhe duniya Ka sabse best khiladi bhi mana jata hai Woh Zada tar royal Bangalore challengers ke liye khelte hai. in-home be apna career Delhi se shuru ki thi jismein Woh under 15 Indian cricket team mein hissa Liya tha. Inge ODI aur t-20 Ka award bhi prapt hua tha.
meri bas yahi eccha hai ke virat kholi hamare desh ke liye hamesha kehlte rahe aur uchaiyon ko past karte rahe
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सानिया का जन्म 15 नवम्बर 1986 को मुंबई में हुआ। उनकी प्रारंभिक शिक्षा हैदराबाद के एन ए एस आर स्कूल में हुई, तत्पश्चात उन्होंने हैदराबाद के ही सेंट मैरी कॉलेज से स्नातक किया। उन्हें 11 दिसम्बर 2008 को चेन्नई में एम जी आर शैक्षिक और अनुसंधान संस्थान विश्वविद्यालय से डॉक्टरेट की मानद उपाधि प्राप्त हुई।
उनके पिता इमरान मिर्ज़ा एक खेल संवाददाता थे तथा माँ नसीमा मुंबई में प्रिंटिंग व्यवसाय से जुड़ी एक कंपनी में काम करती थीं। कुछ समय के बाद उन्हें और छोटी बहन 'अनम' को हैदराबाद जाना पड़ा जहां एक पारंपरिक शिया खानदान के रूप सानिया का बचपन गुजरा। पिता के सहयोग और अपने दृढ़ संकल्प के सहारे वह आगे बढ़ती चली गई। हैदराबाद के निज़ाम क्लब में सानिया ने छ्ह साल की उम्र से टेनिस खेलना शुरु किया। उन्होने छह वर्ष की उम्र में टेनिस खेलना शुरू किया।
उनके पिता के पास इतने पैसे नहीं थे जो उन्हें पेशेवर ट्रेनिंग दिलवा सकें। इसके लिए उनके पिता ने कुछ बड़े व्यापारिक समुदायों से स्पान्सर्शिप ली, जिसमें प्रमुख हैं जीवेके इंड्रस्ट्रीज और एडीडास। इन दोनों कंपनियों ने उन्हें 12 साल की उम्र से ही स्पान्सर करना शुरु कर दिया। उसके बाद उनके पिता ने उनकी ट्रेनिंग का जिम्मा लिया। महेश भूपति के पिता सी. के. भूपति की देखरेख में उसकी टेनिस शिक्षा की शुरुआत हुई। हैदराबाद के निज़ाम क्लब से शुरुआत करने के बाद वह अमेरिका की एस टेनिस एक्रेडेमी गई। 1999 में उसने जूनियर स्तर पर पहली बार भारत का प्रतिनिधित्व किया। सानिया जब 14 वर्ष की भी नहीं थी तब उसने पहला आई.टी.एफ. जूनियर टूर्नामेंट इस्लामाबाद में खेला था। 2002 में भारत के शीर्ष टेनिस खिलाड़ी लिएंडर पेस ने बुसान एशियाड के पूर्व 16 वर्षीय सानिया को खेलते देखा और निश्चय किया कि वह सानिया मिर्ज़ा के साथ डबल्स में उतरेंगे। फिर उन्होने इस देश को कांस्य पदक दिलाया। उसके बाद सानिया ने 17 वर्ष की उम्र में विंबलडन का जूनियर डबल्स चैंपियनशिप खिताब जीता था।
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