Hindi, asked by wwwmonalishakhongia, 9 months ago

Eassy on वीर शिवाजी की जीवनी|​

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Answered by sanjibmishra14
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Answered by dimprajapati
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                     ESSAY ON VEER SHIVAJI

                                         KI JIVAN

/जिन वीरों ने अपनी असाधारण वीरता, त्याग और बलिदान से भारतभूमि को धन्य किया है, उनमें वीर शिवाजी का नाम अग्रगण्य  

मातृभूमि भारत की स्वतन्त्रता एवं गौरव के रक्षक वीर शिवाजी एक साहसी सैनिक, दूरदर्शी इन्सान, सतर्क व सहिष्णु देशभक्त थे । उनकी चारित्रिक श्रेष्ठता, दानशीलता के अनेक उदाहरण हमें गौरवगाथा के रूप में मिलते हैं । वे महाराष्ट्र के ही नहीं, समूची मातृभूमि के सेवक थे । वे हिन्दुत्व के नहीं, राष्ट्रीयता के पोषक रहे हैं ।

मराठा केसरी महान् राष्ट्रभक्त वीर शिवाजी का जन्म चुनार के अन्तर्गत शिवनेरी दुर्ग में 10 अप्रैल सन् 1626 को हुआ था । उनके पिता शाहजी भोंसले-जिनकी जागीर पूना में थी-एक साहसी सैनिक, सेनानायक नीतिज्ञ एवं राज्य संचालक थे । अपने इन्हीं गुणों के कारण वे एक कृषक से शाही दरबारी से ऊंचे मनसबदार बन सके । मनसबदार होते हुए भी वे मुगलों के विरुद्ध युद्ध में संलग्न रहे ।

उनकी माता जीजाबाई एक सुशिक्षित, धर्मपरायण, दूरदर्शी व साहसी महिला थीं । अपनी शिक्षा का उपयोग उन्होंने अपने पुत्र शिवाजी में संस्कार डालने में किया । वे चाहती थीं कि उनका पुत्र धीर-गम्भीर, वीर-साहसी, धर्मरक्षक और चरित्रवान बने । बचपन से जो बीज रामायण, महाभारत और गीता के माध्यम से बोये थे, वे आगे चलकर शिवाजी के चरित्र निर्माण में सहायक बने ।

उन्होंने शिवाजी की शिक्षा-दीक्षा में गुरु रामदास को नियुक्त किया, जिन्होंने शिवाजी में राष्ट्रभक्ति के आदर्श चारित्रिक गुण भरे । शिवाजी के समय में चारों तरफ मुगलों का आतंक तथा अत्याचार का वातावरण था । मुगलों ने देश की शान्ति, सुरक्षा व स्वतन्त्रता छीन ली थी । माता ने न केवल शिवा को इसका बोध कराया, वरन् इसके विरुद्ध संघर्ष करने की शिक्षा भी दी ।शिवाजी का व्यक्तित्व एक सर्वगुणसम्पन्न प्रतिभाशाली व्यक्ति का है । उनमें दयालुता, सहिष्णुता, साहस, धैर्य, आत्मविश्वास, सद्व्यवहार, विवेकशीलता थी । वे अपने सद्‌गुणों से सबको प्रभावित करते थे । उनके सेनापति अधिकारी भी उनके इन्हीं गुणों के कारण उन्हें काफी मानते थे । उन्होंने कभी विश्वासघात नहीं किया ।

शिवाजी पराक्रमी, एक चतुर राजनीतिज्ञ, योग्य सेनापति और कुशल प्रशासक थे । एक बार शिवाजी को उनके पिता शाहजी बीजापुर के सुलतान से मिलवाने ले गये थे । मातृभूमि के भक्त शिवाजी को मुगलों के दरबार में जाकर उनकी चाटुकारिता कर दुआ सलाम करना जरा भी अच्छा नहीं लगता था ।

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