easy example of veer ras with spashtikaran
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वीर रस, नौ रसों में से एक प्रमुख रस है। जब किसी रचना या वाक्य आदि से वीरता जैसे स्थायी भाव की उत्पत्ति होती है, तो उसे वीर रस कहा जाता है।[1][2]
उदाहरण
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साजि चतुरंग सैन अंग मैं उमंग धारि,
सरजा सिवाजी जंग जीतन चलत है ।
भूषन भनत नाद बिहद नगारन के,
नदी नद मद गैबरन के रलत हैं ॥
बुन्देले हर बोलो के मुख हमने सुनी कहानी थी
खूब लड़ी मर्दानी वो तो झाँसी वाली रानी थी ।
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