Hindi, asked by rahulgupta14081994, 6 months ago


एबी एवं उसमें रहने वाले भिक्षुओं के जीवन पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।​

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Answered by shishir303
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O एबी एवं उसमें रहने वाले भिक्षुओं के जीवन पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।​

► एबी विशिष्ट प्रकार के भिक्षुओं की एक संस्था होती थी, जो चर्च के इतर अपना अस्तित्व कायम किए हुई थी। एबी में रहने वाले भिक्षुक अत्यंत धार्मिक प्रवृत्ति के होते थे, जो चर्च में रहने वाले पादरियों के विपरीत लोगों के समुदायों के बीच में नगरों और गाँवों में रहते थे। यह भिक्षुक एकांत जीवन पसंद करते थे और एक तरह का धार्मिक समुदाय बनाकर रहते थे। इस धार्मिक समुदाय को ‘एबी’ या ‘मठ’ कहा जाता था। तत्कालीन समय के प्रसिद्ध मठों में एक मठ 537 ईस्वी का इटली में स्थापित सेंट बेनेडिक्ट मठ था और दूसरा मठ 910 ईस्वी में बरगंडी में स्थापित कलूनी का मठ था।

एबी में रहने वाले भिक्षुक अपना जीवन सादा एवं सरल तरीके से बिताने का संकल्प लेते थे। वह नियमित रूप से प्रार्थना, अध्ययन, आध्यात्मिक चिंतन के अलावा कृषि जैसे शारीरिक श्रम में भी अपना समय लगाते थे। एबी मठ में भिक्षुक का जीवन स्त्री और पुरुष दोनों अपना सकते थे, लेकिन एबी मठ में सामान्यतः एक ही लिंग के व्यक्ति रहते थे। पुरुषों एवं महिलाओं के लिए अलग-अलग एबी की व्यवस्था थी।

एबी के भिक्षुक-भिक्षुणियां भी सामान्यतः पादरियों की तरह विवाह नहीं कर सकते थे। धीरे-धीरे एबी का विकास होता गया और जहां 10 या 20 लोग रहा करते थे, वहाँ बड़े-बड़े सैकड़ों की संख्या में रहने वाले भिक्षुओं के एबी मठ बन गए और इन एबी मठों की बड़ी-बड़ी इमारतें और भू-जागीरें होने लगीं। इन मठों से संबद्ध विद्यालय और अस्पताल भी होते थे।

एबी मठों ने कला के विकास में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया था। 13वीं शताब्दी में एबी के कुछ भिक्षुओं के समूह ने मठ में ना रहने का निर्णय लिया और वह  घूम-फिरकर अपना उपदेश देते तथा दान से अपनी जीविका चलाते थे, ऐसे बच्चों को ‘फायर’ कहा गया।

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