एडम स्मिथ ने अर्थशास्त्र के अध्ययन का केंद्र बिंदु किसे कहते हैं
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एडम स्मिथ (५जून १७२३ से १७ जुलाई १७९०) एक ब्रिटिश नीतिवेत्ता, दार्शनिक और राजनैतिक अर्थशास्त्री थे। उन्हें अर्थशास्त्र का पितामह भी कहा जाता है।आधुनिक अर्थशास्त्र के निर्माताओं में एडम स्मिथ (जून 5, 1723—जुलाई 17, 1790) का नाम सबसे पहले आता है. उनकी पुस्तक ‘राष्ट्रों की संपदा(The Wealth of Nations) ने अठारहवीं शताब्दी के इतिहासकारों एवं अर्थशास्त्रियों को बेहद प्रभावित किया है. कार्ल मार्क्स से लेकर डेविड रिकार्डो तक अनेक ख्यातिलब्ध अर्थशास्त्री, समाजविज्ञानी और राजनेता एडम स्मिथ से प्रेरणा लेते रहे हैं. बीसवीं शताब्दी के अर्थशास्त्रियों में, जिन्होंने एडम स्मिथ के विचारों से प्रेरणा ली है, उनमें मार्क्स, एंगेल्स, माल्थस, मिल, केंस(Keynes) तथा फ्राइडमेन(Friedman) के नाम उल्लेखनीय हैं. स्वयं एडम स्मिथ पर अरस्तु, जा॓न ला॓क, हा॓ब्स, मेंडविले, फ्रांसिस हचसन, ह्यूम आदि विद्वानों का प्रभाव था. स्मिथ ने अर्थशास्त्र, राजनीति दर्शन तथा नीतिशास्त्र के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किया. किंतु उसको विशेष मान्यता अर्थशास्त्र के क्षेत्र में ही मिली. आधुनिक बाजारवाद को भी एडम स्मिथ के विचारों को मिली मान्यता के रूप में देखा जा सकता है. एडम स्मिथ के जन्म की तिथि सुनिश्चित नहीं है. कुछ विद्वान उसका जन्म पांच जून 1723 को तथा कुछ उसी वर्ष की 16 जून को मानते हैं. जो हो उसका जन्म ब्रिटेन के एक गांव किर्काल्दी(Kirkaldy, Fife, United Kingdom) में हुआ था. एडम के पिता कस्टम विभाग में इंचार्ज रह चुके थे. किंतु उनका निधन स्मिथ के जन्म से लगभग छह महीने पहले ही हो चुका था. एडम अपने माता–पिता की संभवतः अकेली संतान था. वह अभी केवल चार ही वर्ष का था कि आघात का सामना करना पड़ा. जिप्सियों के एक संगठन द्वारा एडम का अपहरण कर लिया गया. उस समय उसके चाचा ने उसकी मां की सहायता की. फलस्वरूप एडम को सुरक्षित प्राप्त कर लिया गया. पिता की मृत्यु के पश्चात स्मिथ को उसकी मां ने ग्लासगो विश्वविद्यालय में पढ़ने भेज दिया. उस समय स्मिथ की अवस्था केवल चौदह वर्ष थी. प्रखर बुद्धि होने के कारण उसने स्कूल स्तर की पढ़ाई अच्छे अंकों के साथ पूरी की, जिससे उसको छात्रवृत्ति मिलने लगी. जिससे आगे के अध्ययन के लिए आ॓क्सफोर्ड विश्वविद्यालय जाने का रास्ता खुल गया. वहां उसने प्राचीन यूरोपीय भाषाओं का ज्ञान प्राप्त किया. उस समय तक यह तय नहीं हो पाया था कि भाषा विज्ञान का वह विद्यार्थी आगे चलकर अर्थशास्त्र के क्षेत्र में न केवल नाम कमाएगा, बल्कि अपनी मौलिक स्थापनाओं के दम पर वैश्विक अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में युगपरिवर्तनकारी योगदान भी देगा. सन 1738 में स्मिथ ने सुप्रसिद्ध विद्वान–दार्शनिक फ्रांसिस हचीसन के नेतृत्व में नैतिक दर्शनशास्त्र में स्नातक की परीक्षा पास की. वह फ्रांसिस की मेधा से अत्यंत प्रभावित था तथा उसको एवं उसके अध्यापन में बिताए गए दिनों को, अविस्मरणीय मानता था. अत्यंत मेधावी होने के कारण स्मिथ की प्रतिभा का॓लेज स्तर से ही पहचानी जाने लगी थी. इसलिए अध्ययन पूरा करने के पश्चात युवा स्मिथ जब वापस अपने पैत्रिक नगर ब्रिटेन पहुंचा, तब तक वह अनेक महत्त्वपूर्ण लेक्चर दे चुका था, जिससे उसकी ख्याति फैलने लगी थी. वहीं रहते हुए 1740 में उसने डेविड ह्यूम की चर्चित कृति A Treatise of Human Nature का अध्ययन किया, जिससे वह अत्यंत प्रभावित हुआ. डेविड ह्यूम उसके आदर्श व्यक्तियों में से था. दोनों में गहरी दोस्ती थी. स्वयं ह्यूम रूसो की प्रतिभा से बेहद प्रभावित थे. दोनों की दोस्ती के पीछे एक घटना का उल्लेख मिलता है. जिसके अनुसार ह्यूम ने एक बार रूसो की निजी डायरी उठाकर देखी तो उसमें धर्म, समाज, राजनीति, अर्थशास्त्र आदि को लेकर गंभीर टिप्पणियां की गई थीं. उस घटना के बाद दोनों में गहरी मित्रता हो गई. ह्यूम एडम स्मिथ से लगभग दस वर्ष बड़ा था. डेविड् हयूम के अतिरिक्त एडम स्मिथ के प्रमुख दोस्तों में जा॓न होम, ह्यूज ब्लेयर, लार्ड हैलिस, तथा प्रंसिपल राबर्टसन आदि के नाम नाम उल्लेखनीय हैं.अपनी मेहनत एवं प्रतिभा का पहला प्रसाद उसको जल्दी मिल गया. सन 1751 में स्मिथ को ग्लासगा॓ विश्वविद्यालय में तर्कशास्त्र के प्रवक्ता के पद पर नौकरी मिल गई. उससे अगले ही वर्ष उसको नैतिक दर्शनशास्त्र का विभागाध्यक्ष बना दिया गया. स्मिथ का लेखन और अध्यापन का कार्य सतत रूप से चल रहा था. सन 1759 में उसने अपनी पुस्तक ‘नैतिक अनुभूतियों का सिद्धांतइसी दौर में उसने फ्रांस तथा यूरोपीय देशों की यात्राएं कीं तथा समकालीन विद्वानों डेविड ह्यूम, वाल्तेयर, रूसो, फ्रांसिस क्वेसने (François Quesnay), एनी राबर्ट जेकुइस टुरगोट(Anne-Robert-Jacques Turgot) आदि से मिला. इस बीच उसने कई शोध निबंध भी लिखे, जिनके कारण उसकी प्रष्तिठा बढ़ी. कुछ वर्ष पश्चात वह वह किर्काल्दी वापस लौट आया. अपने पैत्रिक गांव में रहते हुए स्मिथ ने अपनी सर्वाधिक चर्चित पुस्तक The Wealth of Nations पूरी की, जो राजनीतिविज्ञान और अर्थशास्त्र पर अनूठी पुस्तक है. 1776 में पुस्तक के प्रकाशन के साथ ही एडम स्मिथ की गणना अपने समय के मूर्धन्य विद्वानों में होने लगी. इस पुस्तक पर दर्शनशास्त्र का प्रभाव है.
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एडम इस मीना शास्त्र के अध्ययन का केंद्र बिंदु किसे कहा है