Effects of newspapers in hindi
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Iss se hamme Roz ka samachar pata chalta hai
Explanation:
भूमिका- मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है । जैसे-जैसे उसकी सामाजिकता में विस्तार होता जाता है वैसे-वैसे उसकी अपने साथियों के दुःख-सुख जानने की इच्छा भी तीव्र होती जाती है । इतना ही नहीं वह आस-पास के जगत की गतिविधियों से परिचित रहना चाहता है । मनुष्य अपनी योग्यता तथा साधनों के अनुसार समय-समय पर समाचार जानने की कोशिश करता रहा है । इन कोशिशों में समाचार-पत्रों एवं प्रेसों का आविष्कार सबसे महत्त्वपूर्ण है । आज समाचार-पत्र सर्वसुलभ हो गए हैं । इन समाचार-पत्रों ने संसार को एक परिवार का रूप दे दिया है । एक मोहल्ले से लेकर राष्ट्र तक की और राष्ट्र से लेकर विश्व तक की गतिविधियों का चित्र इन समाचार-पत्रों के माध्यम से हमारे सामने आ जाता है ।
समाचार-पत्रों का इतिहास– प्राचीन काल में समाचार जानने के साधन बड़े स्थूल थे । समाचार को पहुँचाने में पर्याप्त समय लग जाता था । कुछ समाचार तो स्थायी से बन जाते थे । सम्राट् अशोक ने बौद्ध धर्म के सिद्धान्तों को दूर-दूर तक पहुंचाने के लिए लाटें बनवाईं । साधु-महात्मा चलते-चलते समाचार पहुंचाने का कार्य करते थे, पर ये समाचार अधिकतर धर्म एवं राजनीति से सम्बन्ध रखते थे । छापेखाने के आविष्कार के साथ ही समाचार-पत्र की जन्म-कथा का प्रसंग आता है । अंग्रेजों के साथ-साथ हमारे देश में समाचार-पत्रों का विकास हुआ । सर्वप्रथम 20 जनवरी, 1780 ई० में वारेन हेस्टिंग्ज ने ‘इण्डियन गजट’ नामक समाचार पत्र निकाला । इसके बाद ईसाई प्रचारकों ने ‘समाज दर्पण’ नामक अखबार प्रारम्भ किया । राजा राम मोहन राय ने सती प्रथा के विरोध में ‘कौमुदी’ तथा ‘चन्द्रिका’ नामक अखबार निकाले । ईश्वरचन्द्र विद्या सागर ने ‘प्रभाकर’ नाम से एक समाचार-पत्र प्रकाशित किया । हिन्दी के साहित्यकारों ने भी समाचार-पत्रों के विकास में अपना महत्त्वपूर्ण योगदान दिया । स्वाधीनता से पूर्व निकलने वाले समाचार-पत्रों ने स्वाधीनता संग्राम में जो भूमिका निभाई, वह प्रशंसनीय है । उन्होंने भारतीय जीवन में जागरण एवं क्रान्ति का शंख बजा दिया । लोकमान्य तिलक का ‘केसरी’ वास्तव में सिंह गर्जना के समान था ।
विभिन्न रूप- समाचार-पत्र अपने विषय के अनुरूप कई प्रकार के होते हैं । इनमें सबसे महत्त्वपूर्ण समाचार-पत्र दैनिक समाचार-पत्र हैं । ये प्रति-दिन छपते हैं और संसार भर के समाचारों का दूत बन कर प्रातः घर-घर पहुंच जाते हैं । हिन्दी दैनिक समाचार–पत्रों में नवभारत टाइम्स, हिन्दुस्तान, आज, विश्वमित्र, दैनिक जागरण, अमर उजाला, पंजाब केसरी, वीर प्रताप, दैनिक ट्रिब्यून का बोलबाला है । साप्ताहिक-पत्रों में विभिन्न विषयों पर लेख, सरस कहानियां, मधुर कविताएं तथा साप्ताहिक घटनाओं तक का वर्णन रहता है । मासिक-पत्रों में अपेक्षाकृत जीवनोपयोगी अनेक विषयों की विस्तार से चर्चा रहती है । धार्मिक-पत्रों में ‘कल्याण’ बड़ा लोकप्रिय है ।