Eidgah kahani ka Saransh pura
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सारांश : ईदगाह कहानी एक ऐसे बच्चे की कहानी है, जो साल भर ईद का इंतजार करता है. और जब उसे मेले के लिए नाममात्र के पैसे मिलते हैं. तो भी वो खुद पर न खर्च कर अपनी दादी के लिए चिमटा खरीदता है. ... ये प्रेमचंद का ही कमाल है कि ईदगाह का जिक्र आते ही ईश्वर के स्थान पर जाने के साथ ही खुद प्रेमचंद भी याद आते हैं.
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ईदगाह कहानी बाल मनोविज्ञान पर आधारित है , जिसमें एक बालक के इर्द-गिर्द पूरी घटना घूमती है। वह बालक अंत में बूढ़ी (दादी) स्त्री को भी अपने बालपन से बालक बना देता है। इस कहानी में मुंशी प्रेमचंद ने हामिद नाम के बालक के माध्यम से बाल मनोविज्ञान का सूक्ष्मता से लेख लिखा है। यह कहानी अंत तक रोचक और कौतूहल उत्पन्न करता है।
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