Ek aashir piv ka, padhe su pandit hoyi - is pankti dvaraa kabi kya kahna chahata hai
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इस पंक्ति द्वारा कवि यह कहना चाहते है कि जिस व्यक्ति ने ईश्वर का एक अक्षर भी पढ़ लिया है, वहीं वास्तविक ज्ञानी है। ईश्वर ही एक मात्र सत्य है और उसे जानेवाला ही सच्चे अर्थों में ज्ञानी है ।
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मित्र
आपका उत्तर इस प्रकार है।
कबीर कहते हैं कि इस संसार में बड़े-बड़े ग्रंथ पढ़कर लोग अपने आप को पंडित या ज्ञानी समझ लेते हैं। परन्तु यह वास्तविकता नहीं है। क्योंकि इन ग्रंथों को पढ़कर कोई पंडित नहीं बन सकता है। वही पंडित या ज्ञानी कहलाने का अधिकारी है, जिसने प्रेम के ढाई अक्षरों को पढ़ लिया है।*
इस पंक्ति द्वारा कवि यह कहना चाहते है कि जिस व्यक्ति ने ईश्वर का एक
अक्षर भी पढ़ लिया है, वहीं वास्तविक ज्ञानी है। ईश्वर ही एक मात्र सत्य है
और उसे जानेवाला ही सच्चे अर्थों में ज्ञानी है ।
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