India Languages, asked by shwetthakur4004, 1 year ago

ek avishmarniya prasang essay in marathi

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Answered by ARUNSAM
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जब मैं कक्षा दसवीं में पढ़ता था। मेरी आर्थिक स्थिति बहुत खराब थी। मेरे पिताजी रिक्शा चलाते थे और मेरी माँ चौका-बरतन करती थी। तब जाकर दो वक्त की रोटी खाने को मिल पाती थी। परंतु मेरी माँ चाहती थी कि मैं पढ़ –लिखकर बड़ा आदमी बनूँ। इसलिए वह मुझे पढ़ने के लिए हमेशा प्रेरित करती रहती थी। मेरी कक्षा के लगभग सभी विद्यार्थीगणित और विज्ञान का ट्यूशन पढ़ते थे। ट्यूशन न पढ़ने के कारण मैं पढ़ने में सबसे कमजोर था। मैंने ये बात जब अपनी माँ को बताई तो उन्होंने मेरे गणित के अध्यापक से बात की। हमारी परिस्थिति को समझते हुए वे मुझे मुफ्त में पढ़ाने के लिए तैयार हो गए। फिर क्या था मैं मन लगाकर पढ़ने लगा और मैं भी अन्य  विदयार्थीयों की तरह होशियार हो गया। मेरी परिस्थिति देखकर विज्ञान के शिक्षक भी मुझे मुफ्त में ट्यूशन देने लगे। परिणामस्वरूप बोर्ड की परीक्षा में मैं अपनी कक्षा में अव्वल आया। गणित में मेरे सभी विद्यार्थियों से अधिक अंक आए। यह देखकर मेरे गणित के अध्यापक ने मेरी पीठ थपथपाकर मुझे शाबाशी दी। उनकी शाबाशी से मेरे हर्ष की सीमा न रही। मैं उनके पैरों में गिर पड़ा। फिर उन्होंने मुझे उठाकर पुनः शाबाशी दी। मुझे उनका प्यार और शाबाशी सदैव स्मरण रहेगी
Answered by AadilAhluwalia
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एक अविस्मरणीय प्रसंग

मी लहान होतो. ९ वर्षांचा असीन. बाबांनी नुकतीच सायकल घेऊन दिली होती आणि मी ती घेऊन शाळेत जायचो. पावसाळ्याचे दिवस होते. एक दिवशी मी शाळेतून घरी येत होत. मुसळधार पाऊस होता. रेनकोटचा आत पाणी घुसले होते आणि मी पूर्ण भिजून गेलो होतो. तेवढ्यात सायकलची चैन तुटली. मी सायकलवरून उतरलो. समोर वाटेत एक घर आलं. तिथे थांबायचा विचार आला.

त्या घरात घुसलो. एक आजोबा होते, त्यांनी घरात बोलावलं. मी आत गेलो. त्यांनी पाऊस थांबे पर्यंत आसरा दिला. मला खाऊ दिला. ३ तासांनी पाऊस थांबला. तीन संजांची वेळ झाली होती. मी आजोबांना धन्यवाद बोलून निघालो.

दुसऱ्या दिवशी आजोबांना भेटायचं असा ठरवलं. पाहतो तर काय घर गायब. तिथे ओसाड जागा होती. बाबांनी हि घटना सांगितली, तर ते म्हणाले की देव तुझा मदतीला आले होते. हा अनुभव मी कधीच विसरू शकत नाही.

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