Hindi, asked by Shivakantonlyr3084, 1 year ago

Ek boond kabita ka arth

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Answered by Anonymous
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ज्यों निकल कर बादलों की गोद से।

थी अभी एक बूँद कुछ आगे बढ़ी।।



सोचने फिर फिर यही जी में लगी।

आह क्यों घर छोड़कर मैं यों बढ़ी।।


दैव मेरे भाग्य में क्या है बढ़ा।

में बचूँगी या मिलूँगी धूल में।।



या जलूँगी गिर अंगारे पर किसी।

चू पडूँगी या कमल के फूल में।।


बह गयी उस काल एक ऐसी हवा।

वह समुन्दर ओर आई अनमनी।।



एक सुन्दर सीप का मुँह था खुला।

वह उसी में जा पड़ी मोती बनी।।


लोग यों ही है झिझकते, सोचते।

जबकि उनको छोड़ना पड़ता है घर।।


Mujhe v nhi maalum .....Kavita to pta hai but summary nhi...

किन्तु घर का छोड़ना अक्सर उन्हें।

बूँद लौं कुछ और ही देता है
Answered by naveensscom
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Answer:

Explanation:

एक बूँद कविता कवि अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’द्वारा लिखी गई है  

ज्यों निकल कर बादलों की गोद से।

थी अभी एक बूँद कुछ आगे बढ़ी।।

सोचने फिर फिर यही जी में लगी।

आह क्यों घर छोड़कर मैं यों बढ़ी।।

(as leaving the bosom of the clouds)

(a little drop of water had proceeded a bit ahead)

(she started thinking again and again)

(Oh! Why did I left my home like this?)

दैव मेरे भाग्य में क्या है बढ़ा।

में बचूँगी या मिलूँगी धूल में।।

या जलूँगी गिर अंगारे पर किसी।

चू पडूँगी या कमल के फूल में।।

(O destiny, what would be my fate)

(will I live or get swallowed up by dust?)

(or would I burn out by falling on some fire?)

(or I will land on a lotus blossom?)

बह गयी उस काल एक ऐसी हवा।

वह समुन्दर ओर आई अनमनी।।

एक सुन्दर सीप का मुँह था खुला।

वह उसी में जा पड़ी मोती बनी।।

(At that moment came a gust of breeze)

(and carried her unheeding to the sea)

(a beautiful oyster was open)

(where she fell and became a pearl)

लोग यों ही है झिझकते, सोचते।

जबकि उनको छोड़ना पड़ता है घर।।

किन्तु घर का छोड़ना अक्सर उन्हें।

बूँद लौं कुछ और ही देता है कर।।

(People often hesitate and think)

(when they have to leave their homes)

(But quite often, leaving their homes)

(transforms them like the tiny drop of water)

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