Hindi, asked by ritikahanda820, 8 months ago

Ek din jab main ghar me akela in Hindi

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Answered by Anonymous
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एक दिन जब मै घर में अकेला

 <marquee \: behaviour = alternate><font \: color=Red> I HOPE IT HELPS YOU ❤️❤️

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Answered by adnanrashid064
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Explanation:

जब मै घर पर अकेला था

बात उन दिनों की है, मेरी परीक्षाएं चल रही थीं, बस मेरा एक आखरी पेपर बाकी था। उसी समय मेरे चचेरे भाई की शादी गांव में पड़ गई। हमारे सारे परिवार को शादी में जाना था। मैं नहीं जा सकता था क्योंकि मुझे अपनी परीक्षा देनी थी और जिस दिन घर वालों को शादी में जाना था, उसी दिन मेरी अंतिम परीक्षा थी। मेरे अकेले होने की वजह से मेरी मां मेरे साथ रहना चाहती थी और उन्होंने शादी में जाने से मना कर दिया। लेकिन मुझे यह अच्छा नहीं लगा और मेरे अंदर का बहादुर बच्चा जाग उठा। मुझे लगा कि मैं बहादुर हूं, अकेले रह सकता हूं। इसके लिए मैंने जिद करके मां को भी जाने दिया और कहा कि मैं अकेले रह लूंगा। इस कारण मजबूरन घरवालों को मुझे घर पर छोड़कर जाना पड़ा। मेरे माता-पिता और मेरी छोटी बहन तीनों चचेरे भाई की शादी में गांव चले गए।

वे लोग सुबह-सुबह निकले और उनके साथ-साथ में अपने स्कूल के लिए परीक्षा देने निकल गया। परीक्षा देकर मैं दोपहर तक आ गया। मां खाना बनाकर रख गई थी तो मैंने चुपचाप खाना खा लिया। फिर मैं टीवी देखने लगा। घर में पहली बार में अकेला रह रहा था तो मुझे बड़ा अजीब सा महसूस हो रहा था। कुछ शांति भी लग रही थी, लेकिन कुछ खालीपन-सा भी लग रहा था। मुझे मां-पिताजी और अपनी छोटी बहन की याद आ रही थी। परीक्षा खत्म हो गई थी इसलिए अब पढ़ने के लिए कुछ बाकी नहीं रहा था इसलिये मैंने फिर वीडियोगेम चला दिया और पूरे दिन वीडियोगेम खेलता रहा। वीडियों गेम खेलते-खेलते पूरा दिन बीत गया और अंधेरा होने लगा इसका मुझे पता ही नही चला।

मुझे भूख लगने लगी। मुझ मैगी बनानी आती थी। इसके लिए मैंने रसोई में जाकर मैगी बनाई और टीवी देखते-देखते खाने लगा। बीच-बीच में मेरी मां का फोन आता रहा और मैं बोल देता कि मैं ठीक हूं। ज्यों-ज्यों रात होने लगी मुझे डर लगने लगा। हम मुझे ऐसा लगने लगा कि मेरे कमरे में कोई मौजूद है, और जो मुझे निरंतर देख रहा है। मैं भूत प्रेतों की कॉमिक्सें बहुत पढ़ता था। इसलिए कॉमिक्सों वाले भूत प्रेत मेरी कल्पनाओं में आने लगे। हालांकि यह मेरे मन का वहम था लेकिन भय के कारण मुझे ऐसा लगने लगा कि कॉमिक्स का कोई भूत प्रेत आ जाएगा। अब मेरी हिम्मत कमरे से बाहर निकलने की भी नहीं हो पा रही थी।  

मैं एक कंबल ओढ़ कर दुबक कर बिस्तर पर सो गया और अपन को पूरी तरह से ढक लिया। फिर कब मेरी नींद लग गई मुझे पता ही नहीं चला। सुबह जब दरवाजे की घंटी बजी तब आठ बज रहे थे। मैं ने दरवाजा खोला तो मेरे घरवाले आ गए थे। तब मैंने चैन की सांस ली और मैंने रात की घटना मां को बताई और कान पकड़ लिया कि अब मैं कभी भी अकेला नहीं रहूंगा और ना ही भूत प्रेत वाली कॉमिक्स पढ़ूंगा।

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