Hindi, asked by riya5821, 1 year ago

Ek fati pustak ki atmakatha essay in hindi class 10

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Answered by iampranjalmishra
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मैं एक पुस्तक हूं मेरा जन्म घास फूस और बांस के टुकड़ों से हुआ है प्रकाशक मुझे प्रकाशित करवाता है तो वह यही सोचता है कि लोग इस पुस्तक को खरीदकर इस पुस्तक से ज्ञान प्राप्त करें और मैं जब पुस्तक बनकर तैयार होती हूं तो बच्चे,बूढ़े,नौजवान सभी मुझे देखकर खुश होते हैं क्योंकि मैं उन सभी को ज्ञान देती हूं. दुकान पर जब मैं रखी रहती हूं तो मुझे खरीदने से पहले बहुत से लोग देखने आते हैं बच्चे,बूढ़े, नौजवान सभी बहुत देर तक मुझे निहारते रहते हैं एक दिन एक छोटा सा बच्चा आया और उसने मुझे खरीद लिया मुझे खरीदते समय वह बहुत ही खुश लग रहा था वह मुझे घर पर ले गया और रात के 11:00 बजे तक उसने मुझे पढ़ा उसके बाद उसने वही टेबल पर मुझे रख दिया मुझे बहुत अच्छा लगा. सुबह जब वह लड़का स्कूल गया तो वहां उसने मुझे अपने दोस्तों को दिखाया.उसके दोस्त भी मुझे देखकर खुश थे वह रोज-रोज मुझे पढ़ता था कभी-कभी वह मुझे अपने दोस्तों को भी दे देता था लेकिन कुछ समय बाद वह दोस्त मुझे वापस उसी लड़के के पास कर देते थे मैं हमेशा उसके पास रहती.
वह कभी-कभी मुझे अंधेरे में छोड़ देता.वहा बैठे हुए मुझे थोड़ा अच्छा नहीं लगता था.उस बच्चें के रोज रोज पढ़ते पढ़ते मुझ पर कई निशान हो गए और मेरे कुछ पन्ने उखड़ने लगे तो उस बच्चे ने मुझे अलमारी के किसी कोने में रख दिया मैं वहां पर अकेले बैठे बैठे बोर हो जाती मेरे कई पन्ने खराब हो चुके थे तभी उस लड़के ने एक दिन रद्दी वाले को मुझे बेच दिया में बस्ती मैं पूरे शहर में उस ठेले पर बैठकर इधर उधर घूमती रही कई लोगों ने मुझे देखा मैं सोच रही थी कि शायद कोई मुझे खरीद ले लेकिन फटी पुस्तक को किसी ने नहीं खरीदा मैं अपने पिछले जीवन से खुश थी लेकिन जब मैं फट गई तभी से मेरे जीवन कि बेकार घड़ी आ गई मैं उस ठेले वाले के साथ बैठी बैठी सोच रही थी कि काश कोई मुझे खरीद ले लेकिन मुझ फटी पुस्तक को खरीदने के लिए कोई भी आगे नहीं आया तभी एक बच्चा उस ठेले वाले से कुछ लेने के लिए आया तो उसने मुझमें से एक पन्ना फाड़ कर उसे कुछ रखकर दे दिया.
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उसने और भी लोगों को कुछ देने के लिए मुझ फटी पुस्तक में से कुछ पन्ने फाड़ दिए मुझे बहुत दुख हुआ मैं सोच रही थी कि लोग मुझसे ज्ञान प्राप्त करते हैं लोग मुझ से ज्ञान प्राप्त करके अपने जीवन को बदलते हैं लोग सुसंस्कारी बनते हैं ज्ञानवान बनते हैं उनके बच्चे भी पढ़ लिखकर शिक्षा प्राप्त करके जीवन में आगे बढ़ते हैं लेकिन जब मैं फट जाती हूं तो लोग मुझे ऐसे ही किसी को बेच देते हैं मुझे बहुत दुख होता है.लोग सिर्फ कुछ पैसे के लिए मुझे बेच देते हैं मैं जब तक अच्छी दिखती थी तब तक लोगों ने मेरा सम्मान किया मुझे संभाल कर रखा लेकिन जब मैं फट गई तो लोगों ने मुझे बेच दिया शायद उस बच्चे की गलती नहीं है क्योंकि जैसा उसने शुरू से देखा होगा वैसा ही उसने मेरे साथ किया. मुझ फटी पुस्तक की किसी ने इज्जत नहीं की मैं यह सब सोचते हुए रास्ते में जा रही थी तभी उस व्यक्ति का घर आ गया उसने मुझे उस ठेले से उतारा और एक कोने में रख दिया उस अंधेरे से कोने में पड़े पड़े मेरा दम घुट रहा था जब सुबह हुई तो सोचा कि जरूर ही वह व्यक्ति मुझे इस कमरे से बाहर निकालेगा वह पुनः मुझे अपने उस ठेले पर रखकर शहर की ओर चल पड़ा.
एक एक करके उसने मेरे सारे पन्ने फ़ाड़ दिए और उसमें रखकर लोगों को कुछ दे दिया मुझे बहुत ही दुख हुआ कि मेरे पन्नों के बहुत सारे टुकड़े हो गए हैं मुझ पुस्तक पर किसी ने ध्यान नहीं दिया यही मेरी
Answered by sumedhgupta
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Answer: fati pustak  ki atmakatha in hindi niband lekhan (Auto Biography )

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