Ek jungle mein Sher rahata tha
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एक जंगल में एक शेर रहता था । शेर उस जंगल का राजा था । वह बहुत ताकतवर होने के साथ -साथ काफी गुस्से वाला भी था । कभी - कभी वो गुस्से में बहुत गलत फैसले ले लिया करता था, जिसका फल जंगल के जानवरों को भुगतना पड़ता था। एक दिन वह शेर अपने साथी बबलू के साथ नदी के किनारे घूम रहा था, तभी नदी को देखकर शेर ने अपने साथी (बबलू) से पूछा, कि हमारी इस नदी का पानी कहा जाता है। बबलू ने कहा कि ये नदी हमारे जंगल से निकल कर पूर्व के दूसरे जंगलों की ओर जाती है। यह सुन वह गुस्से से तिलमिला उठा कि हमारी नदी का पानी दूसरे जंगल के जानवर कैसे पी सकते हैं। शेर ने बबलू को आदेश दिया कि इस नदी के पास दीवार बना दो ताकी दूसरे तरफ के जानवर हमारा पानी ना पी पाएं। नदी पर दीवार बनने की वजह से नदी का पानी जंगल में घुसने लगा जिस कारण से सभी जंगल के जानवर परेशान होकर बबलू के पास गए और उससे मदद मांगी। जंगल के जानवरों की परेशानी जानकर बबलू के दिमाग में एक तरकीब आई बबलू आधी रात को भालू के पास गया जो हर दिन सुबह होने पर एक घंटा बजाया करता था। बबलू ने भालू से कहा कि घंटा अभी बजा दो। भालू ने यही किया और जोर से घंटा बजा दिया। घंटे की आवाज सुनकर शेर भालू के पास आया और बोला अभी सुबह नहीं हुई है, तब बबलू ने कहा महाराज सुबह हो गई पर सूरज नहीं निकला है, यह सुन कर शेर गुस्सा हो गया और बबलू से पूछा कि सूरज क्यो नहीं निकला है। तब बबलू ने बोला महाराज जिस तरह से हमने पूर्व के दूसरे जंगलो का पानी रोका है उसी तरह से उन्होने सूरज को रोक लिया है और अब यहां कभी सूरज नही दिखेगा। बबलू की इस बात को सुन शेर ने पूछा अब क्या करें ? तब बबलू ने एक उपाय बताया और बोला महाराज क्यों न हम अपना पानी उनको भी इस्तेमाल करने दें बदले में वे हमे अपना सूरज देंगे । बबलू की इस बात को सुनकर शेर ने उसकी बात मान ली और भालू को नदी की दीवार तोड़ने का आदेश दिया । भालू ने नदी की दीवार तोड़ दी और तब तक सूरज के निकले का समय भी हो गया था।
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हर परेशानी का कोई न कोई हल होता ही है, हमें बस शान्त रह कर अपनी सूझबूझ से काम लेना चाहिए।
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