ek pardarsi kanch ke ghanakar gutke ki 4cm
Answers
Explanation:
उत्तर : काँच की पट्टी में से अपवर्तन-
(a) प्रकाश के व्युत्क्रम गमन का सिद्धान्त और एक आयताकार काँच की पट्टी में से अपवर्तन: एक आयताकार काँच की पट्टी पर चित्रानुसार विचार कीजिए, फलक PQ पर आपतन कोण पर एक किरण AE आपतित होती है। काँच की पट्टी में प्रवेश करने के बाद, यह अभिलम्ब की ओर मुड़ती है और EF दिशा में एक अपवर्तन कोणा पर गति करती हैं। अपवर्तित किरण EF फलक SR पर एक आपतन कोण' पर आपतित होती हैं। निर्गत किरण FD अभिलम्ब से दूर अपवर्तन कोण e पर हटती हैं। इस प्रकार निर्गत किरण FD आपतित किरण AE के समान्तर होती है, लेकिन यह आपतित किरण के सापेक्ष इस तरह समान्तर फलकों वाले अपवर्तक माध्यम से निर्गत किरण के पथ में एक शिफ्ट होता हैं।
पाश्व विस्थापन : पाश्र्व विस्थापन आपतित व निर्गत किरणों के मध्य लम्बवत् दूरी है, जब प्रकाश एक समान्तर फलकों वाली अपवर्तक पट्टी पर तिर्यक रूप से आपतित होता है ।
वह कारक जिन पर पाश्र्व विस्थापन निर्भर करता है, निम्न है:
(i) पाश्र्व विस्थापन काँच की पट्टी की मोटाइ के सीधे समानुपाती होता हैं।
(ii) पाश्र्व विस्थापन आपतित कोण के सीधे समानुपाती होता हैं।
(iii) पाश्र्व विस्थापन काँच की पट्टी के अपवर्तनांक के सीधे समानुपाती होता हैं।
(iv) पाश्र्व विस्थापन आपतित प्रकाश की तरंगदैथ्य के व्युत्क्रमानुपाती होता हैं।